डॉक्टरों ने नाइजीरियन का सफल ऑपरेशन कर बचाई जान
शहर के डॉक्टरों ने जटिल कॉन्जेस्टिव कार्डिएक फेल्यर से जूझ रहे एक अंतरराष्ट्रीय रोगी की बचाई जान बचाई;
नोएडा। शहर के डॉक्टरों ने जटिल कॉन्जेस्टिव कार्डिएक फेल्यर से जूझ रहे एक अंतरराष्ट्रीय रोगी की बचाई जान बचाई। 58 वर्षीय नाइजीरियायी रोगी को जटिल वाल्व प्रत्यारोपण सर्जरी कर बचाया गया।
उनका हार्ट सूजकर सामान्य आकार के मुकाबले तीन गुना बड़ा हो गया था, जिससे रोगी की जान को खतरा था। आपरेशन फोर्टिस अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा किया गया। नाइजीरियाई रोगी गिक्सो वकीली नाकवाडा पर जटिल वाल्व प्रत्यारोपण सर्जरी कर उन्हें नया जीवन प्रदान किया। बेहद सावधानी व सतर्कता के साथ की गई इस जटिल सर्जरी करने वाली टीम का नेतृत्व फोर्टिस अस्पताल नोएडा के डिपार्टमेंट ऑफ कार्डिएक सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. वैभव मिश्रा कर रहे थे।
पिछले दो महीने से गिक्सो वकीली नाकवाडा को अचानक सांस लेने में बहुत अधिक मुश्किल होने लगी। वह कुछ मीटर की दूरी तक चल पाने में असमर्थ थे और कुछ भी काम नहीं कर पा रहे थे। उनकी दोनों टांगों में भी अत्यधिक सूजन आ गई थी, जो समय के साथ लगातार बढ़ रही थी। कई गहन टेस्ट कराने के बावजूद नाइजीरिया के डॉक्टर उनकी बीमारी की वजह का पता लगाने में असफल रहे। गिक्सो को बेहद गंभीर हालत में फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में भर्ती किया गया, तब उनके फेफड़ों में भी फ्लुइड भर चुका था और उनके पैर सूजकर सामान्य आकार से चार गुना हो गए थे और उनका लीवर भी फूल गया था, जिससे उनके उदर में फ्लुइड इकट्ठा हो रहा था।
इसके साथ ही उनकी दो वाल्व भी काम नहीं कर रही थीं। डॉ. वैभव मिश्रा ने बताया कि इलाज के बाद रोगी की हालत में सुधार होने के बाद उन्होंने हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने की अनुमति मांगी क्योंकि उनके पास ऑपरेषन के पैसे नहीं थे। हालांकि 10 दिन बाद उन्हें फिर हॉस्पिटल में भर्ती करना पड़ा क्योंकि उनका हार्ट सूजकर सामान्य आकार से तीन गुना हो गया था और काम भी ढंग से नहीं कर रहा था। रोगी की दोनों वाल्व का ऑपरेशन किया गया और एक वाल्व को मैकेनिकल हार्ट वाल्व से बदला गया जबकि दूसरी को सही किया गया। ऑपरेशन के बाद उनका रिकवरी पीरियड काफी अच्छा रहा और उन्हें 5 दिन बाद डिस्चार्ज कर दिया गया। अभी गिक्सो लंबी दूरी तक चलने में सक्षम हैं और उनके पैरों पर सूजन भी नहीं है।
कॉन्जेस्टिव कार्डिएक फेल्यर कई कार्डिएक जटिलताओं की अंतिम स्थिति होती है, जिसका पता ईसीजी, कार्डिएक ईको और एंजियोग्राफी से लगाया जा सकता है। इसके लक्षणों में सांस लेने में तकलीफ, धड़कनों का तेज होना, थकावट, पैरों में सूजन व उदर का बढ़ना और गर्दन की नसों का डायलेट होना शामिल है। कॉन्जेस्टिव कार्डिएक फेल्यर की वजह का पता लगाकर सर्जरी या मेडिकल प्रबंधन के जरिए इलाज किया जा सकता है।