अव्यवस्थित व बेतरतीब यातायात शहर की शान

मुख्यालय में जहां भी दृष्टिपात करे अव्यवस्थित व बेतरतीब यातायात का आलम सर्वत्र मिलेगा।;

Update: 2018-02-10 15:21 GMT

बेमेतरा। मुख्यालय में जहां भी दृष्टिपात करे अव्यवस्थित व बेतरतीब यातायात का आलम सर्वत्र मिलेगा। पुराना बस स्टैण्ड स्थित सिग्नल चैक, प्रताप चैक, जयस्तंभ चैक, पियर्स चैक और नया बस स्टैण्ड में तो यातायात सिर्फ इंसान के भाग्य भरोसे चल रहा हैं। जहां से सकुषल वापस लौट आना ईष्वर की कृपा पर ही निर्भर रहता हैं।

वहीं यातायात पुलिस शहर के बाहर बड़ी मुष्तैदी से अपने लक्ष्य पूरा करने चालान काटते दिखलाई देती हैं किन्तु नगर के भीतर यातायात दुरूस्त करने प्रयासरत नही मिलते। हालांकि यातायात पुलिस के जवान चैक-चैराहे पर अपनी ड्यूटी में जरूर उपस्थित रहते हैं।

अनियंत्रित यातायात से अनेक प्राणघातक हादसे हो चुका हैं
अव्यवस्थित यातायात के कारण नगर में अनेक प्राणघातक हादसे हो चुके है परंन्तु यातायात विभाग पता नही क्यूं, इस ओर से अपनी आंखे फेर लिया हैं। जबकि सिग्नल चैक से रेड सिग्नल की परवाह न करते अनेक लोग जान-बूझकर नियम तोड़ते हुये अपने वाहन से सड़क पार करते तथा दुपहिया वाहनो पर तीन सवारी बैठे आसानी से देखे जा सकते है। बावजूद यातायात अधिकारी व सिपाही न तो उन्हे रोककर समझाइस देते और न ही उन पर कार्यवाही करते।

गोली चलने जैसे कानफोड़ू हार्न पर कार्यवाही जरूरी 
जिला बनने के बाद शहर के भीतर चहुंओर यातायात का काफी दबाव बढ़ चुका हैं। जिसके कारण यातायात को नियंत्रण करना अत्यावष्यक हो गया हैं। वही कुछ युवको के द्वारा गोली चलने जैसे अनेक कानफोड़ू ध्वनियंत्र का निर्भिक होकर उपयोग कर रहे हैं। ऐसे लोगो पर भी प्रभावी कार्यवाही होना ही चाहिये क्योकि इसके आड़ में अनेक लोग महिलाओ व लड़कियो से छेड़खानी करने से भी बाज नही आते हैं।

फुटकर व्यवसायियो ने एक तरह से स्थायी स्टाल बना लिया हैं
विदित हो कि नया बस स्टैण्ड में तो नगर पालिका द्वारा बनाई गयी दुकानो तक पहुंचने के लिये मुसाफिरो को कसरत करनी पड़ती हैं क्योकि दुकानो के सामने कुछ फुटकर व्यवसायियों ने एक तरह से स्थायी स्टाल ही लगा रखा हैं। जिन्हे कुछ भी कहने से यात्रियों के साथ लड़ाई झगड़े पर भी उतारू हो जाते है।

यदाकदा नगर पालिका अमले के द्वारा उनके खिलाफ चालानी कार्यवाही कर अर्थदण्ड वसूलकर महीनो के लिये शांत हो जाते हैं फिर फुटकर व्यवसायी निर्भिकता के साथ पुन: अपनी स्टाल लगा लेते हैं। जिससे बस संचालको के साथ-साथ यात्रियो को विषेष कर महिलाओ को अत्यधिक परेशानी का प्रतिदिन सामना करना पड़ता हैं।

बस स्टैण्ड के चारो ओर देखे तो इन फुटकर व्यापारियो की वजह से स्टैण्ड का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा इन्ही से भर जाता हैं, शेष बचे 60 प्रतिशत हिस्से में बस को अपने गंतव्य के लिये खड़ी की जगह मिल पाती हैं। इन व्यवसायियो की वजह से कभी बड़े हादसे से भी इंकार नही किया जा सकता। ये फुटकर व्यपारी दुकान को ऐसे सजाकर रखते है जैसे नगर पालिका और यातायात पुलिस से इन्हें विषेष अनुमति, लाईसेस या फिर संरक्षण मिला हो। ऐसे हठधर्मी व अव्यवस्था फैलाने वालों पर कानूनी कार्यवाही आवश्यक हैं।

यातायात पुलिस की निष्क्रियता से सकुशल घर लौटना भाग्य भरोसे

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