विवि की लापरवाही, छात्रा परीक्षा से वंचित
बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा मूल्यांकन में गड़बड़ी किये जाने का खामियाजा एक छात्रा को भुगतना पड़ रहा है;
पेण्ड्रा। बिलासपुर विश्वविद्यालय द्वारा मूल्यांकन में गड़बड़ी किये जाने का खामियाजा एक छात्रा को भुगतना पड़ रहा है। छात्रा दो साल से परीक्षा से वंचित है तथा विश्वविद्यालय अपनी गड़बड़ी सुधारने को तैयार नहीं है।
छात्रा ने इस मामले में हाईकोर्ट बिलासपुर में शरण लिया है परंतु अब जबकि 7 मार्च से बीएससी द्वितीय वर्श की परीक्षा प्रारंभ हो रही है क्या छात्रा के साथ न्याय करते हुए परीक्षा देने का अवसर देगा?
पूरा मामला पेण्ड्रा के डा.भंवर सिंह पार्ते महाविद्यालय का है जहां वर्श 2017-18 में बीएससी प्रथम वर्ष गणित की छात्रा श्रुतिकीर्ति त्रिपाठी को पूरक परीक्षा में गणित विषय के तीनों प्रश्न पत्र में क्रमश: 27, 0 एवं 18 अंक प्रदान किया गया था जिस पर छात्रा ने असंतोश जताते हुए अपने गणित विशय की कांपिया आरटीआई एक्ट के तहत निकलवाई तथा उसका मूल्यांकन दो अलग-अलग विशय विशेषज्ञ प्राध्यापकों से कराया जिसमें शून्य अंक प्राप्त प्रश्न पत्र में एक प्राध्यापक ने 17 अंक दिया।
वही दूसरे प्राध्यापक ने उसका मूल्यांकन 7 अंक किया जबकि छात्रा को उत्तीर्ण होने के लिये मात्र 6 अंक की ही अवष्यकता थी इस तरह वह अपनी कापर के गलत मूल्यांकन करने के खामियाजा और अनउत्तीर्ण होकर भोगना पड़ा।
छात्रा ने इस मामले में न्याय के लिये बिलासपुर विश्वविद्यालय के कुलपति इंदु अनंत एवं परीक्षा नियंत्रक प्रवीण पाण्डे से कई बार मुलाकात कर अपनी समस्या सुलझाने का प्रयास किया परंतु छात्रा श्रुतिकीर्ति त्रिपाठी के प्रकरण का निराकरण नही हुआ जिसके बाद छात्रा श्रुतिकीर्ति त्रिपाठी ने हाई कोर्ट बिलासपुर की षरण ली थी जिसमें अंतिम पेषी 27 फरवरी को हुई जिस पर निर्णय आना बाकी है वही छात्रा श्रुतिकीर्ति त्रिपाठी ने बिलासपुर विश्वविद्यालय से अपील की है कि उसे आगामी 7 मार्च से षुरू होने वाली बीएससी द्वितीय वर्ष गणित की परीक्षा में बैठने का अवसर प्रदान किया जाये ताकि उसका भविष्य खराब न हो।
छात्रा ने इस मामले की लिखित जानकारी राज्यपाल रायपुर छत्तीसगढ, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग तथा मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार को भेजकर न्याय की मांग की है। यहां पर उल्लेखनीय है कि छात्रा श्रुतिकीर्ति त्रिपाठी का अनुक्रमांक 41711410080 अध्ययनरत डा. भंवरसिंह पोर्ते पेण्ड्रा का मामला विश्वविद्यालय में होने वाली परीक्षाओं की कापियों के मूल्यांकन में गडबडी से जुड़ा होने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रा के मामले में निर्णय नही ले पा रहा है वहीं छात्रा न्याय के लिये दर-दर भटक रही है।