कागजों में विकास, गांव में हर तरफ बदहाली

छत्तीसगढ़ शासन के कई योजनाओं के बावजूद भी अगर कोई ग्राम बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे तो उसे उस गांव का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है;

Update: 2017-10-12 13:18 GMT

बुनियादी सुविधाओं को तरस रहे ग्रामीण
रायगढ़। छत्तीसगढ़ शासन के कई योजनाओं के बावजूद भी अगर कोई ग्राम बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे तो उसे उस गांव का दुर्भाग्य ही कहा जा सकता है। ऐसा ही कुछ बयां कर रही ग्राम छिछोर उमरिया की कहानी। जहां विकास तो हुआ है, लेकिन धरातल पर नहीं सिर्फ सरकारी कागजों में ही। यही कारण है कि यहां अब भी लोगों की बुनियादी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है।

जिला मुख्यालय से तकरीबन 25 किलोमीटर दूर पुसौर ब्लॉक में छिछोर उमरिया गांव है। इस गांव के ग्रामीण अपनी बुनियादी सुविधाओं के लिए एक नहीं या दो नहीं कई दफे गांव से कलेक्टोरेट के चक्कर काट चुके हैं, लेकिन आज तक उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है। हमारे संवाददाता ने जब ग्राम छिछोर उमरिया का दौरा किया तो वहां के ग्रामीण   एक-एक करके अपनी समस्या गिनाते चले गए। जिसे देख लगता नहीं कि इस गांव का विकास हुआ है। 

सरकार के द्वारा जनकल्याणकारी कई योजनाएं संचालित किए जा रहे हैं। मगर आज भी कई ऐसे गांव हैं जहां जो शासन की योजनाओं से महरूम है और उसी मे से एक छिछोरउमारिया गांव है। जहां बुनियादी सुविधाओं के लिए ग्रामीण तरस रहे हैं। शासन की योजनाओं की धज्जियां उड़ाने के लिए क्षेत्र के सरंपच व सचिव कोई कमी नहीं कर रहे हैं। यही कारण है कि अब यहां के ग्रामीणों के बीच क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के लिए आक्रोश पनप रहा है। छिछोरउमरिया के ग्रामीणों ने बताया कि यहां गुरूबारी सिदार महिला सरपंच है, लेकिन उसे गांव के विकास कार्य से कोई भी लेनादेना नहीं है और उसका काम को उसका पति रूपलाल संभलता है। विकास कार्य के नाम पर सरकारी राशि की काफी मात्रा में गड़बड़ी कर चुके हैं। मनरेगा कार्य में जो मजदूर कार्य किए हैं उनको पूरा भुगतान तक नहीं हुआ है और सरपंच के चहेते जो कि मनरेगा में बिना कार्य किए राशि प्राप्त कर चुके हैं। यही नहीं कई मजदूरों को आज तक जॉब कार्ड नहीं मिल सका है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव के तालाब गहरीकरण के लिए लाखों रुपए स्वीकृत हुए थे, लेकिन नाम मात्र के लिए तालाब में गहरीकरण किया गया। गांव में पानी टंकी निर्माण में भी भ्रष्टाचार किया गया है। 
 

आवास दिलाने रकम की मांग 
प्रधानमंत्री आवास योजना में भी सरपंच के द्वारा आवास दिलाने के बदले ग्रामीणों से रुपए की मांग की जाती है। साथ ही किसी-किसी को आपसी दुश्मनी निकालते हुए कुछ भी कर लो तुम्हारा काम नहीं करूंगा की धमकी दी जाती है। इससे गांव के कई ग्रामीण परेशान हैं। पिछले दिनों ग्राम सभा में विकास कार्य के मुद्दो पर चर्चाए की जानी थी, लेकिन गड़बड़ियों का खुलासा हो जाएगा, इस कारण सरपंच व अन्य जनप्रतिनिधी ग्राम सभा तक में नहीं पहुंचे। 
 

अधूरा पड़ा है शौचालय
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वच्छ भारत अभियान के सपनों की धज्जियां गांव में उड़ाई जा रही है। इस ग्राम पंचायत की महिलाओं का कहना था कि वे अपनी समस्या लेकर सरपंच के पास गए थे और शासन की योजना अंतर्गत उनके घरों में शौचालय बनवाने की बात कही गई, लेकिन आज तक गिनती मात्र के लोगों के घरों में शौचालय बनवाए गए हंै। जिनमें वे भी आधे अधूरें हैं, कहीं शौचालय में शेड नहीं है, तो कहीं शौचालय में शीट नहीं बिठाया गया है। कहीं शौचालय निर्माण के लिए रेत व ईंट गिरवाकर छोड़ दिया गया है। इस वजह से गांव की महिलाओं को शौच के लिए बाहर सड़क किनारे जाना पड़ता है। इस दौरान कई दफे शराबी प्रवृत्ति के लोग उन महिलाओं पर छींटाकशी भी करते हैं। गांव में विकास के नाम पर गड़बड़झाला किया गया है। मनरेगा कार्य में बिना कार्य करने वालों का नाम लिखकर राशि का आहरण किया गया है। इसकी शिकायत ग्राम सभा में लिखित रूप से की गई है। सरपंच व क्षेत्र के अन्य जनप्रतिनिधियों के द्वारा विकास कार्य में यहां गड़बड़ी की जा रही है। गांव में सभी ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। गांव का विकास सिर्फ कागजों में हुआ है और अगर मामले में जांच की जाती है, तो कई खुलासे होंगे। ग्राम सभा में भी जनप्रतिनिधि नहीं आते हैं और यहां शौचालय को भी जल्द नहीं बनाया जा रहा है। इससे हर कोई यहां परेशान हैं। 
 

जांच की जाएगी
इस संबंध में पुसौर जनपद सीईओ नीलाराम पटेल का कहना था कि छिछोरउमरिया गांव से मामले की शिकायत मिली है। मामले में जांच उपरांत आगे की कार्रवाई की जाएगी। 

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