बोनस से वंचित, समर्थन मूल्य पर मांगा मुआवजा

कलेक्टर के जनदर्शन में आज मस्तूरी क्षेत्र के लोहराबोर गांव के किसान धान के सूखे पौधे लेकर पहुंचे और बताया कि पिछले 3 साल से गांव में फसल ही नहीं हुई है;

Update: 2017-10-11 17:42 GMT

बिलासपुर। कलेक्टर के जनदर्शन में आज मस्तूरी क्षेत्र के लोहराबोर गांव के किसान धान के सूखे पौधे लेकर पहुंचे और बताया कि पिछले 3 साल से गांव में फसल ही नहीं हुई है। खेतों में दरारें पड़ गई है उन्हें बोनस से वंचित होना पड़ रहा है। कलेक्टर से किसानों ने धान खरीदी के समर्थन मूल्य कीदर से मुआवजे के मांग की किसानों ने बताया कि दीपावली त्यौहार मनाने उनके पास एक पैसे भी नहीं है। गांव से लोग पलायन करने को मजबूर हो गए हैं।

मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के सुकुलकारी ग्राम पंचायत के आश्रित गांव लोहराबोर में पिछले तीन साल से फसल नहीं हुई। यहां अकाल की स्थिति है। खेतों में धान की जगह चारा है, पानी की जगह दरार है, खेतों में तीन साल से फसल नहीं हुई तो यहां के 500 किसानों को 2 साल का बोनस नहीं मिलेगा। आज बोनस व मुवावजा को मांग को लेकर लोहराबोर के किसान कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे। अधिकारियों से किसानों ने पूछा जब दो साल से धान की पैदावारी गांव में नहीं हुई है तो किसानों को बोनस कैसे दोंगे? यहां के किसानों ने सूखा के बदले धान खरीदी के समर्थन मूल्य की दर से मुआवजा मांगा है। परेशान किसानों का कहना है कि अब तो दिवाली के लिए घर में पैसा नहीं है। किसानों का दिवाला निकल गया है, कई परिवार पलायन को मजबूर हो गए।

लोहराबोर गांव के किसान दिलीप कुमार, चैतूराम, रामकुमार, ससाराम, प्यारेलाल, गिरधारी साहू, सोतीलाल साहू, भागीरथी, भगत राम, खीकराम, मंगतराम आदि किसान काफी संख्या में आज कलेक्टर के जनदर्शन में पहुंचे थे। इन किसानों का कहना था कि पचपेढ़ी क्षेत्र के लोहराबोर गांव में 600 हेक्टेयर रकबा में किसान खेती करते हैं। इस बांव मेंं फसल के लिए पानी का कोई साधन नहीं है, बोरिंग भी नहीं है। किसान बारिश के पानी पर आश्रित हैं। पिछली दफा बरसात ने दगा दिया और खेतों तक पानी नहीं पहुंचा। यहां पिछले बार भी अकाल की स्थिति थी।

किसानों के खेतों में अन्न का एक दाना भी नहीं हुआ। इस बार भी बारिश नहीं हुई, खेत सूख गए, इस गांव में नहर भी नहीं है और न ही जलाशय, तलाब सूखे पड़े हैं। पीने के लिए पानी नहीं है, किसान परेशान हैं। पिछली बार भी धान की पैदावार नहीं हुई। इधर रमन सरकार दो साल की बोनस बांट रही है। लोहराबोर के ल00 किसानों को रमन सरकार का बोनस नहीं मिल पाएगा। किसानों का कहना है कि 2 साल से गांव में अकाल की स्थिति है अधिकारी भी नहीं सुन रहे हैं। फसल का मुआवजा राशि नहीं मिली है। फसल बीमा की राशि केवल 250 रूपए दे रहे हैं ऐसे में किसानों का परिवार कैसे चलेगा। इस गांव की आधी आबादी दशहरा के बाद पलायन को मजबूर हैं। चैतूराम के 4 बेटे हैं। 

धान की पैदावार नहीं होने से दो बेटे पहले से ही लखनऊ चले गए हैं ईंट भ_ा में काम करने, अब दो बेटों का परिवार यहां रोजी-मजदूरी की तलाश कर रहा है। गांव में रोजगार गारंटी का काम भी बंद है, दिवाली त्यौहार के लिए इस किसान के घर में पैसे नहीं है। यहां के 300 परिवार अब पलायन की तैयारी कर रहे हैं। ज्ञात हो कि रमन सरकार ने दो साल की फसल का बोनस राशि का वितरण किया है लेकिन मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र के आधे किसानों को राज्य सरकार की बोनस योजना का लाभ नहीं मिली।

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