लोकसभा में कांग्रेस के तीन सांसदों ने वायु प्रदूषण पर जताई चिंता, स्थगन प्रस्ताव देकर चर्चा की मांग की

कांग्रेस के तीन सांसदों मनीष तिवारी, विजय कुमार (विजय वसंत) और मणिकम टैगोर ने गुरूवार को राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव का अलग अलग नोटिस देकर तत्काल चर्चा कराने की मांग की;

Update: 2025-12-04 05:23 GMT

कांग्रेस के तीन सांसदों ने वायु प्रदूषण के मसले पर लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया

नई दिल्ली। कांग्रेस के तीन सांसदों मनीष तिवारी, विजय कुमार (विजय वसंत) और मणिकम टैगोर ने गुरूवार को राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण पर चिंता जताते हुए लोकसभा में कार्य स्थगन प्रस्ताव का अलग अलग नोटिस देकर तत्काल चर्चा कराने की मांग की।

कन्याकुमारी से कांग्रेस सांसद विजय कुमार (विजय वसंत) ने दिल्ली के वायु प्रदूषण संकट को राष्ट्रीय जन स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने की मांग करते हुए अपने नोटिस में कहा कि दिल्ली एक खुले गैस चैंबर में तब्दील हो गई है। यहां करोड़ों लोग ज़हरीली हवा में सांस ले रहे हैं। यह हवा शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाने और बच्चों एवं युवाओं में भी बीमारियों का कारण बन रही है। सांसद ने इस संकट की निगरानी में विफल रहने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा संबंधित एजेंसियों के पास प्रदूषण के सही आंकड़े तक नहीं थे। कुमार ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु योजना शुरू करने का आग्रह किया और चेतावनी दी कि इसमें देरी से लोगों का जीवन खतरे में है और संसद को तुरंत ध्यान देना चाहिए।

चंडीगढ़ से कांग्रेस सांसद तिवारी ने अपने नोटिस में लिखा कि खतरनाक वायु प्रदूषण संकट ने दिल्ली-एनसीआर और पूरे गंगा के मैदान को जानलेवा गैस चैंबर में बदल दिया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। यह राष्ट्रीय जनस्वास्थ्य आपातकाल की स्थिति है। ज़हरीली हवा अब लाखों भारतीय नागरिकों की ज़िंदगी के साल छीन रही है। मेडिकल विशेषज्ञों ने बताया है कि जो लोग धूम्रपान नहीं करते, उनमें फेफड़ों का कैंसर तेज़ी से बढ़ा है। बच्चों के फेफड़ों और दिमाग को ऐसा नुकसान हो रहा है जिसे ठीक नहीं किया जा सकता। बुज़ुर्गों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है, और सभी उम्र के लोगों को अस्थमा, निमोनिया, हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बहुत ज़्यादा बढ़ गया है।

तमिलनाडु के विरुधनगर से सांसद टैगोर ने अपने नोटिस में कहा कि वायु प्रदूषण के शिकार आम नागरिक हैं। मास्क के बावजूद खांसते हुए बच्चे, बुज़ुर्गों और ज़हरीली हवा में रहने को मजबूर हैं। हमारे मज़दूर इसका शिकार हैं क्योंकि वे घर के अंदर नहीं रह सकते। लेकिन किसी तरह की कोई जवाबदेही नहीं है, प्रदूषण फैलाने वाले आज़ाद घूम रहे हैं, और नागरिक अपनी सेहत से इसकी कीमत चुका रहे हैं।

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