दिल्ली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में दलीलें पूरी, जानिए कब आएगा फैसला ?

दिल्ली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई, इस दौरान दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के वकीलों की तरफ से दी गई दलीलों पर अपना पक्ष रखा;

Update: 2025-12-10 12:14 GMT

दिल्ली हिंसा मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, दोनों पक्षों की दलीलें पूरी

नई दिल्ली। दिल्ली हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार दूसरे दिन सुनवाई हुई, इस दौरान दिल्ली पुलिस ने आरोपियों के वकीलों की तरफ से दी गई दलीलों पर अपना पक्ष रखा। बीते दिन शरजील इमाम के वकील ने उनके भाषण को साज़िश बताए जाने पर आपत्ति जताई थी, जिसपर दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कोर्ट में 2013 के एक फैसले, पूर्व पीएम राजीव गांधी की जान लेने के मामले में कोर्ट के फैसलों का ज़िक्र करते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि शरजील के भाषणों को भी सबूत के तौर पर माना जाना चाहिए..वहीं रुक-रुक कर चार्जशीट फाइल होने के चलते केस की सुनवाई में हो रही देरी के आरोपों पर भी दिल्ली पुलिस ने अपना तर्क दिया।

वहीं दूसरी चार्जशीट में उमर खालिद का नाम जोड़े जाने के सवालों पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कहा कि जहां तक उमर खालिद की बात है, उसे पता था कि हिंसा होने वाली है और वह अलीबी बनाना चाहता था। उसने टिकट खरीदे, जबकि वे महंगे थे।

एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने उमर खालिद के भारत तेरे टुकड़े टुकड़े होंगे' वाले बयान पर कहा कि इसी के आधार पर हमने चार्जशीट बनाई है.. उन्होंने उमर खालिद के मास्टरमाइंड से मिले होने का दावा किया।

बहस के बीच कोर्ट ने सवाल किया कि आखिर इनके भाषण को आप साज़िश कैसे बता रहे हैं?

इसपर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कहा कि उनके एक्शन्स से जोड़ते हुए।

इसपर कोर्ट ने फिर सवाल कर दिया कि ऐसे कौन से एक्शन्स? और आप उन्हें कैसे लिंक कर रहे हैं ?

इस पर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने चिकन नेक से जुड़े बयान का हवाला दिया और आर्थिक सुरक्षा के लिए, ज़रूरी सप्लाई में रुकावट डालने की बातों का ज़िक्र किया। पेट्रोल बम फेके जाने की बात कही।

जिसपर कोर्ट ने ही सवाल कर दिया कि चार्जशीट में इन लोगों के खिलाफ इन चीज़ों के इस्तेमाल के आरोप नहीं लगाए गए हैं। वहीं वाट्सएप्प ग्रुप चैट को लेकर एडिशनल सॉलिसिटर जनरल राजू ने कोर्ट में बताया कि इसे डिलीट करने का फैसला किया गया, लेकिन उससे पहले इस पूरे मामले में जो अहम किरदार थे, वो सिग्नल एप्प पर चले गए और ज़रूरी लोग चैट से हटा दिए गए। उन्होंने कोर्ट में पेश किए गए गवाहों पर उठते सवालों को भी अपनी तरफ से ख़ारिज किया, और कहा कि यह तर्क दिया गया कि गवाह सुनी-सुनाई बातें बता रहे हैं, वह वहाँ मौजूद नहीं थे, लेकिन मैं तर्क दूंगा कि यह सब गलत है।

दलीलें पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखते हुए दोनों पक्षों के वकीलों से सभी दस्तावेज़ इकट्ठे करके 18 दिसंबर तक जमा करने के निर्देश दिए, अब सभी को इंतज़ार कोर्ट के फैसले का है।

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