संसद के बाहर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन, सदन में प्रदूषण पर चर्चा की उठाई मांग
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है और आज इस सत्र का चौथा दिन है लेकिन संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष ने दिल्ली प्रदूषण के मुद्दे पर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया और इस मुद्दे पर सदन के अंदर चर्चा की मांग उठाई;
संसद सत्र : प्रदूषण पर विपक्ष का विरोध प्रदर्शन
संसद की कार्यवाही से पहले परिसर में प्रदर्शन
प्रदूषण पर सदन के अंदर चर्चा की उठी मांग
नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत हो चुकी है और आज इस सत्र का चौथा दिन है लेकिन संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले विपक्ष ने दिल्ली प्रदूषण के मुद्दे पर ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया और इस मुद्दे पर सदन के अंदर चर्चा की मांग उठाई है। प्रदर्शन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, कांग्रेस नेता सोनिया गांधी समेत वपक्षी दल के तमाम नेता शामिल हुए।
इस दौरान विपक्षी नेताओं के हाथों में बैनर भी नज़र आए जिसमें पीएम मोदी है हालिया बयान "मौसम का मज़ा" लीजिए लिखा हुआ था। साथ ही "प्रदूषण पर चर्चा करो" और "ड्रामेबाज़ी बंद करो" के नारे भी ज़ोर शोर से लगाए गए।
केंद्र की मोदी सरकार सिर्फ संसद के परिसर तक ही विपक्ष के हमले नहीं घिरी हुई बल्कि विपक्ष ने सोशल मीडिया पर भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। इसी कड़ी में कांग्रेस पार्टी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर संसद के पाकर द्वार पर प्रदूषण के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन का विडियो शेयर करते हुए लिखा- "संसद भवन परिसर स्थित मकर द्वार पर एकत्रित हुए विपक्षी सांसद दिल्ली की जहरीली वायु समस्या के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। जब बच्चे दम तोड़ रहे हों और परिवार कष्ट झेल रहे हों, तो चुप रहना कोई विकल्प नहीं है। सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए!"
तो वहीं डीएमके के सांसद पी विल्सन ने दिल्ली को गैस चैंबर बताते हुए कहा कि ऐसी स्थिति में शीतकालीन सत्र दिल्ली में आयोजित करना ठीक नहीं है। विल्सन ने कहा, दिल्ली ने 2025 में एक भी दिन डब्लूएचओ के सुरक्षित मानकों जैसी हवा नहीं देखी. प्रदूषण अब सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आपातकाल बन गया है। दिल्ली के लोग प्रदूषण की वजह से आठ साल तक की जीवन प्रत्याशा खो रहे हैं। पराली जलाना इसका कारण नहीं है बल्कि सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाला धुआं है।
उन्होंने देश में सभी काम दिल्ली से चलाने की प्रवृत्ति को ओवर-सेंट्रलाइजेशन बताते हुए इस पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि क्या भारी स्मॉग के दिनों में शीतकालीन सत्र जरूरी है. संवैधानिक कामकाज अन्य सत्रों में पूरा किया जा सकता है। दिल्ली के बजाय अलग-अलग शहरों में कामकाज बांटा जाए. सुप्रीम कोर्ट की क्षेत्रीय बेंचें चेन्नई, मुंबई और कोलकाता में बनाई जाएं। मंत्रालयों और वैधानिक संस्थाओं का बोझ देश के अन्य राज्यों में बांटा जाए जिससे दिल्ली को राहत मिल सके।
जैसा आप जानते हैं कि दिल्ली की हवा इस कदर प्रदूषित हो गई है कि सांस लेना भी दूभर हो गया है। ऐसे में विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है और इसी कड़ी में आज ये प्रदर्शन हुआ है। वहीं अब देखना होगा कि विपक्ष के इस प्रदर्शन के बाद सरकार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कब तैयार होती है।