‘विद यू स्टालिन’ योजना में मुख्यमंत्री के नाम के इस्तेमाल पर रोक संबंधी मद्रास हाईकोर्ट का आदेश रद्द

उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार की 'विद यू स्टालिन' योजना में वहां के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नाम के इस्तेमाल पर रोक वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द दिया;

Update: 2025-08-06 10:47 GMT

तमिलनाडु सरकार को बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने 'उंगलुदन स्टालिन योजना' पर मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को किया रद्द

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार की 'विद यू स्टालिन' योजना में वहां के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नाम के इस्तेमाल पर रोक वाले मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बुधवार को रद्द दिया।

इसके साथ ही अदालत ने सरकारी योजना के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले अन्नाद्रमुक सांसद सी.वी. षणमुगम पर अदालत का समय बर्बाद करने के एवज में 10 लाख रुपये जुर्माना भी लगाया।

मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन तथा न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ ने उच्च न्यायालय का आदेश रद्द करते हुए उसके खिलाफ राज्य सरकार और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (द्रमुक) पार्टी की अपील स्वीकार कर ली।

पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा, “हमने बार-बार कहा है कि राजनीतिक लड़ाई मतदाताओं के सामने लड़ी जानी चाहिए। अदालतों का इस्तेमाल राजनीतिक दलों के बीच राजनीतिक हिसाब-किताब निपटाने के लिए किया जाना चाहिए।”

इस आदेश के साथ ही शीर्ष अदालत ने तमिलनाडु सरकार की 'विद यू स्टालिन' योजना हरी झंडी दे दी।

अदालत ने उस योजना के खिलाफ उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले अन्नाद्रमुक सांसद सी.वी. षणमुगम पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि यह राशि वंचितों के लिए राज्य की योजना के लिए इस्तेमाल की जाएगी।

शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, ए.एम. सिंघवी और पी. विल्सन की दलीलें सुनने के बाद मद्रास उच्च न्यायालय के 31 जुलाई के अंतरिम आदेश को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के लिए जीवित व्यक्तियों, पूर्व मुख्यमंत्रियों, पार्टी नेताओं या राजनीतिक दलों के नाम और तस्वीरों के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी।

उच्च न्यायालय के आदेश में द्रमुक सरकार को कल्याणकारी योजनाओं में वर्तमान और पूर्व मुख्यमंत्रियों के नाम और तस्वीरों का इस्तेमाल न करने का निर्देश दिया गया था।

अन्नाद्रमुक सांसद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह की दलील को खारिज करते हुए अदालत ने कहा कि राजनीतिक नेताओं के नाम पर योजनाओं का प्रचलन पूरे देश में एक चलन है।

शीर्ष अदालत ने गौर किया कि तमिलनाडु ने विभिन्न राजनीतिक नेताओं के नाम पर ऐसी 45 योजनाओं की सूची दी है, लेकिन याचिकाकर्ता ने चुनौती के लिए द्रमुक की योजना को ही चुना।

पीठ ने कहा, “जब ऐसी योजनाएं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के नाम पर शुरू की जाती हैं, तो हम याचिकाकर्ता राज्य सरकार की केवल एक राजनीतिक दल और एक नेता को चुनने की बेचैनी को नहीं समझते।”

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