खरगे ने मोदी-शाह का मांगा इस्तीफा, नेशनल हेराल्ड केस को बताया राजनीतिक साज़िश
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा- नेशनल हेराल्ड मामले में कोर्ट का फैसला सत्यमेव जयते के तहत आया है। खरगे ने इस केस को राजनीतिक साज़िश करार दिया है।;
खरगे ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का मांगा इस्तीफा
नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगा है। उन्होंने कहा- नेशनल हेराल्ड मामले में कोर्ट का फैसला सत्यमेव जयते के तहत आया है। खरगे ने इस केस को राजनीतिक साज़िश करार दिया है।
मल्लिकार्जुन खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-नेशनल हेराल्ड का फर्जी केस राजनीतिक बदले और द्वेष की भावना से किया गया है।
ये अखबार 1938 में स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा शुरू किया गया था, जिसे BJP सरकार मनी लॉन्ड्रिंग जैसी चीजों से जोड़कर बदनाम कर रही है।
सच्चाई है कि इस केस में कुछ भी नहीं है, लेकिन फिर भी BJP इसे मुद्दा बनाकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं को परेशान करने की कोशिश कर रही है।
मोदी सरकार अपने राजनीतिक फायदे के लिए इसी तरह नेताओं पर ED के केस लगवाती आई है। BJP ने इसी तरह लोगों को डराकर अपनी तरफ किया और सरकारें बनाईं।
लेकिन अब फैसला न्याय के पक्ष में आया है। सत्य की जीत हुई है। हम इस फैसले का बहुत स्वागत करते हैं।
खरगे ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट किया- जब नेशनल हेराल्ड, कांग्रेस पार्टी और हमारे नेताओं को बदनाम करने के लिए झूठे आरोप लगाए गए, तब भी मैंने यही कहा था कि हम अंग्रेज़ों से नहीं डरे तो BJP-RSS या मोदी-शाह क्या चीज़ हैं।
आज कोर्ट ने भी मोदी सरकार की कार्रवाई को अवैध ठहराकर राजनीतिक बदले की दुर्भावना से रची ये साज़िश को नाकाम किया है।
ये “वोट चोर सरकार” लोकतंत्र को कुचलने की जितनी भी ज़ोर-ज़बरदस्ती कर ले, हम 140 करोड़ भारतीयों के लिए और इस संविधान को बचाने के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।
सत्य की जीत निश्चित है।
क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
हाल ही में नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी को राहत मिली है..तो वहीं ईडी को बड़ा झटका लगा है लेकिन सवाल ये है कि आखिर ये मामला क्या है।
आइए शुरू से समझते हैं--दरअसल नेशनल हेराल्ड वो अखबार था जिसे नेहरू जी ने शुरू किया। वक्त बदला और अखबार घाटे में आ गया..कांग्रेस ने इसे बचाने के लिए 90 करोड़ का लोन दिया। जब लोन नहीं चुकाया जा सका, तो उसे शेयर्स में बदल दिया गया। ये शेयर्स 'यंग इंडियन' नाम की कंपनी के पास चले गए।
यहां ये बताना जरूरी है कि यंग इंडियन एक Not-For-Profit कंपनी है। मतलब, सोनिया गांधी हों या राहुल गांधी, कानूनी तौर पर वो इस कंपनी से एक रुपया भी अपने घर नहीं ले जा सकते। अब बीजेपी लीडर सुब्रमण्यम स्वामी ने केस किया, ED की एंट्री हुई और इसे मनी लॉन्ड्रिंग का नाम दिया गया जबकि सच ये है कि न तो कोई कैश इधर-उधर हुआ और न ही कोई प्रॉपर्टी बिकी। जो प्रॉपर्टी पहले AJL की थी, वो आज भी AJL की ही है।
2015 में खुद ED ने कहा था कि केस में दम नहीं है, लेकिन फिर भी इसे 12 साल तक खींचा गया। अब जब तथ्य सामने हैं, तो साफ है कि ये सिर्फ कांग्रेस की छवि खराब करने की एक कोशिश थी। न कोई हेराफेरी हुई, न किसी ने पैसे कमाए तो क्या इससे कांग्रेस को हुई परेशानी के लिए पीएम मोदी माफी मांगेंगे?