उमर खालिद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले में तारीख पर तारीख मिल रही है, लेकिन फैसला अबतक नहीं आया। हिंसा के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य सभी, पिछले पांच साल से जेल की सलाखों के पीछे हैं, उन्होंने ज़मानत की भी अपील की है लेकिन न तो उनपर आरोप साबित हो पाए और नहीं उन्हें इन बेड़ियों से आज़ादी मिल रही है। आरोपियों की याचिका पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर बहस हुई। सुनवाई शुरू होते ही शरजील इमाम के सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने अपनी जवाबी दलीलें रखीं। जिसके बाद जस्टिस कुमार ने कहा कि आधा घंटा लो या छोड़ो। इस पर शरजील की तरफ से जवाब देते हुए वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि इसमें कम से कम एक घंटा लगेगा। दवे के जवाब के बाद, जे कुमार ने फिर अगली तारीख मंगलवार, 9 दिसंबर दे दी। जे कुमार ने कहा - जवाब देने के लिए, टाइम शेड्यूल तय करना ज़रूरी है। इसलिए, हम हर एक के लिए ओरल आर्गुमेंट 15 मिनट तक सीमित रखते हैं और ASG (एस. वी. राजू )का क्लैरिफिकेशन आधे घंटे से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। हमें उनमें से हर एक का परमानेंट पता चाहिए इस पर डेव मज़ाक में कहते हैं -टेम्पररी पता तिहाड़ जेल है। डेव ने कहा-हम इसे कोर्ट को सौंप देंगे ASG ने कहा- इस पर अगली तारीख पर सुनवाई हो, इसे 11 तारीख तक ही रखें। मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में रहूंगा जे कुमार बोले- उन्हें 9 तारीख को पूरा करने दें, हम आपको 10 तारीख को एडजस्ट कर देंगे। अब इस मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर बहस हुई थी सुनवाई शुरू होते ही शरजील की तरफ से पेश वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा था कि पहली बात जो मैं कहना चाहूंगा। मैं टेररिस्ट नहीं हूं जैसा कि रेस्पोंडेंट ने मुझे कहा है। मैं एंटी-नेशनल नहीं हूं जैसा कि स्टेट ने कहा है। मैं इस देश का नागरिक हूं, जन्म से नागरिक हूं। मुझे अब तक किसी भी जुर्म के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन मुझे इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट का लेबल दिया जा रहा है। इस तरह का लेबल “गहरी तकलीफ” देता है और बेगुनाह साबित होने के मौके को भी खत्म करता है। पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस की तरफ से सुनाई गई शरजील इमाम के भाषण की क्लिप चलाई गई थी, जिसपर इस बार कोर्ट ने सवाल किया। बेंच ने पूछा कि क्या यह कहा जा सकता है कि वे भाषण UAPA, 1967 के तहत भड़काने वाले और आतंकवादी गतिविधि के तौर पर नहीं देखे जाएंगे। (इसपर शरजील की तरफ से जवाब देते हुए वकील दवे ने कहा कि) हाँ, मैंने वो भाषण दिए हैं और उनके लिए मुझ पर केस चला है। अगर मुझे उन भाषणों के लिए गिरफ्तार किया जा चुका है, तो मैं उन्हीं भाषणों के लिए इस FIR में कैसे आ सकता हूँ? वहीं गुलफशा फातिमा की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि वो इकलौती महिला आरोपी है, जिसे अबतक बेल नहीं मिली, जबकि सह-आरोपियों को मिल गई। उन्होंने दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश किए गए रिजीम चेंज के दावों को भी कोर्ट का माइंड डाइवर्ट करने के लिए पेश किया गया नेरेटिव बताया था। इसके अलावा उमर खालिद की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीले देते हुए कहा कि हिंसा के वक़्त वो दिल्ली में ही नहीं था। उन्होंने किसान आंदोलन का ज़िक्र करते हुए चक्का जाम और रेल रोको जैसे विरोध प्रदर्शन पर कहा था कि भारत में लोकप्रिय आंदोलनों के दौरान ये बहुत आम हैं, और अगर वे कानून के सख्त दायरे से बाहर भी हैं, तो भी उन्हें UAPA के तहत 'आतंकवादी काम' नहीं कहा जा सकता।
उमर खालिद पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नई दिल्ली : दिल्ली हिंसा मामले में तारीख पर तारीख मिल रही है, लेकिन फैसला अबतक नहीं आया। हिंसा के आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य सभी, पिछले पांच साल से जेल की सलाखों के पीछे हैं, उन्होंने ज़मानत की भी अपील की है लेकिन न तो उनपर आरोप साबित हो पाए और नहीं उन्हें इन बेड़ियों से आज़ादी मिल रही है। आरोपियों की याचिका पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।दिल्ली हिंसा मामले में आरोपी उमर खालिद, शरजील इमाम समेत अन्य की ज़मानत याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर बहस हुई। सुनवाई शुरू होते ही शरजील इमाम के सीनियर वकील सिद्धार्थ दवे ने अपनी जवाबी दलीलें रखीं। जिसके बाद जस्टिस कुमार ने कहा कि आधा घंटा लो या छोड़ो। इस पर शरजील की तरफ से जवाब देते हुए वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि इसमें कम से कम एक घंटा लगेगा। दवे के जवाब के बाद, जे कुमार ने फिर अगली तारीख मंगलवार, 9 दिसंबर दे दी। जे कुमार ने कहा - जवाब देने के लिए, टाइम शेड्यूल तय करना ज़रूरी है। इसलिए, हम हर एक के लिए ओरल आर्गुमेंट 15 मिनट तक सीमित रखते हैं और ASG (एस. वी. राजू )का क्लैरिफिकेशन आधे घंटे से ज़्यादा नहीं होना चाहिए। हमें उनमें से हर एक का परमानेंट पता चाहिए इस पर डेव मज़ाक में कहते हैं -टेम्पररी पता तिहाड़ जेल है। डेव ने कहा-हम इसे कोर्ट को सौंप देंगे ASG ने कहा- इस पर अगली तारीख पर सुनवाई हो, इसे 11 तारीख तक ही रखें। मैं बॉम्बे हाई कोर्ट में रहूंगा जे कुमार बोले- उन्हें 9 तारीख को पूरा करने दें, हम आपको 10 तारीख को एडजस्ट कर देंगे। अब इस मामले की सुनवाई 9 दिसंबर को होगी। कोर्ट में पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई मुद्दों पर बहस हुई थी सुनवाई शुरू होते ही शरजील की तरफ से पेश वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा था कि पहली बात जो मैं कहना चाहूंगा। मैं टेररिस्ट नहीं हूं जैसा कि रेस्पोंडेंट ने मुझे कहा है। मैं एंटी-नेशनल नहीं हूं जैसा कि स्टेट ने कहा है। मैं इस देश का नागरिक हूं, जन्म से नागरिक हूं। मुझे अब तक किसी भी जुर्म के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है, लेकिन मुझे इंटेलेक्चुअल टेररिस्ट का लेबल दिया जा रहा है। इस तरह का लेबल “गहरी तकलीफ” देता है और बेगुनाह साबित होने के मौके को भी खत्म करता है। पिछली सुनवाई में दिल्ली पुलिस की तरफ से सुनाई गई शरजील इमाम के भाषण की क्लिप चलाई गई थी, जिसपर इस बार कोर्ट ने सवाल किया। बेंच ने पूछा कि क्या यह कहा जा सकता है कि वे भाषण UAPA, 1967 के तहत भड़काने वाले और आतंकवादी गतिविधि के तौर पर नहीं देखे जाएंगे। (इसपर शरजील की तरफ से जवाब देते हुए वकील दवे ने कहा कि) हाँ, मैंने वो भाषण दिए हैं और उनके लिए मुझ पर केस चला है। अगर मुझे उन भाषणों के लिए गिरफ्तार किया जा चुका है, तो मैं उन्हीं भाषणों के लिए इस FIR में कैसे आ सकता हूँ? वहीं गुलफशा फातिमा की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि वो इकलौती महिला आरोपी है, जिसे अबतक बेल नहीं मिली, जबकि सह-आरोपियों को मिल गई। उन्होंने दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश किए गए रिजीम चेंज के दावों को भी कोर्ट का माइंड डाइवर्ट करने के लिए पेश किया गया नेरेटिव बताया था। इसके अलावा उमर खालिद की तरफ से पेश वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीले देते हुए कहा कि हिंसा के वक़्त वो दिल्ली में ही नहीं था। उन्होंने किसान आंदोलन का ज़िक्र करते हुए चक्का जाम और रेल रोको जैसे विरोध प्रदर्शन पर कहा था कि भारत में लोकप्रिय आंदोलनों के दौरान ये बहुत आम हैं, और अगर वे कानून के सख्त दायरे से बाहर भी हैं, तो भी उन्हें UAPA के तहत 'आतंकवादी काम' नहीं कहा जा सकता।