शांति बिल पर कांग्रेस का हमला : बिल से अमेरिका को फायदा, भारत को नुकसान?
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति) बिल पास कराने को लेकर तीखा हमला बोला है;
एनडीएए 2026 का लिंक – मोदी सरकार पर विपक्ष का बड़ा हमला
- जयराम रमेश बोले: ‘दोस्ती निभाने के लिए बिल पास कराया गया’
- परमाणु सुरक्षा पर सवाल, विदेशी कंपनियों को खुला रास्ता
- सरकार बोली – निवेश और आधुनिकता के लिए जरूरी है शांति बिल
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर सस्टेनेबल हार्नेसिंग एंड एडवांसमेंट ऑफ न्यूक्लियर एनर्जी फॉर ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया (शांति) बिल पास कराने को लेकर तीखा हमला बोला है। उनका आरोप है कि यह बिल अमेरिकी हितों को साधने और प्रधानमंत्री को अपने "कभी अच्छे दोस्त" के साथ संबंधों को सहज बनाने में मदद करने के लिए संसद में जल्दबाज़ी में पारित कराया गया।
एनडीएए 2026 का संदर्भ
रमेश की टिप्पणी तब आई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) 2026 पर हस्ताक्षर किए। यह 3,100 पन्नों का कानून है, जिसमें पेज 1,912 पर भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर लायबिलिटी नियमों पर संयुक्त आकलन का उल्लेख किया गया है। रमेश ने दावा किया कि यही वजह है कि मोदी सरकार ने शांति बिल को इतनी तेजी से संसद में पारित कराया।
सोशल मीडिया पर बयान
कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए एनडीएए के उस हिस्से का स्क्रीनशॉट साझा किया, जिसमें भारत-अमेरिका संयुक्त आकलन का जिक्र है। उन्होंने लिखा कि अब यह स्पष्ट हो गया है कि शांति बिल को जल्दबाज़ी में पास कराने के पीछे असली कारण क्या था।
President Trump has just signed the National Defence Authorization Act for the US Fiscal Year 2026.
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) December 20, 2025
The Act is 3100 pages long. Page 1912 has a reference to the joint assessment between the United States and India on Nuclear Liability Rules.
Now we know for sure why the Prime… pic.twitter.com/bGdAOXh9pA
बिल के प्रावधान
शांति बिल में सिविल लायबिलिटी फॉर न्यूक्लियर डैमेज एक्ट, 2010 के कई प्रमुख प्रावधानों को हटाया गया है। विपक्ष का आरोप है कि इससे परमाणु दुर्घटनाओं की स्थिति में ऑपरेटर की ज़िम्मेदारी कम हो जाएगी और विदेशी कंपनियों को भारत में निवेश करने का रास्ता आसान होगा।
राजनीतिक असर
कांग्रेस का कहना है कि यह कदम भारत की संप्रभुता और सुरक्षा पर सवाल खड़े करता है, जबकि सरकार का तर्क है कि शांति बिल देश में परमाणु ऊर्जा क्षेत्र को आधुनिक बनाने और निवेश आकर्षित करने के लिए आवश्यक है।