दिल्ली उच्च न्यायालय ने नजरबंद नवलखा को रिहा किया

उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का निर्देश दिया था और अगले आदेश तक उन्हें नजरबंद रखने को कहा था;

Update: 2018-10-01 19:27 GMT

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज मानवाधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को नजरबंदी से रिहा करने का आदेश दिया और कहा कि उनकी हिरासत कानून के तहत 'असमर्थनीय' है। न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की एक पीठ ने निचली अदालत के उस आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को पुणे ले जाने की इजाजत दी गई थी।

उच्च न्यायालय की पीठ ने हालांकि कहा कि महाराष्ट्र पुलिस कानूनी प्रावधानों के मुताबिक नवलखा के खिलाफ मामले में नए सिरे से कार्रवाई करने के लिए मुक्त है। 

नवलखा को प्रतिबंधित नक्सली समूह के साथ कथित रूप से संबंधों के लिए 28 अगस्त को देश भर में महाराष्ट्र पुलिस द्वारा मारे गए छापों में गिरफ्तार किया गया था। वह गिरफ्तार पांच मानवाधिकार कार्यकर्ताओं में से एक हैं।

नवलखा को दक्षिणी दिल्ली के नेहरू एंक्लेव के उनके आवास से गिरफ्तार किया गया था और यहां मजिस्ट्रेट अदालत में पेश किया गया था। अदालत ने पुलिस को उन्हें पुणे की अदालत में पेश करने की इजाजत दी थी।

इसके बाद उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र पुलिस को नवलखा को दिल्ली से बाहर नहीं ले जाने का निर्देश दिया था और अगले आदेश तक उन्हें नजरबंद रखने को कहा था।

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