डीन ने पत्रकारों को दी खुलेआम धमकी
स्व. लखीराम मेडिकल कालेज बनने के बाद से रायगढ़ जिला चिकित्सालय बीते दो साल से मेडिकल कालेज के ही अधिनस्थ संचालित हो रहा है;
रायगढ़ । स्व. लखीराम मेडिकल कालेज बनने के बाद से रायगढ़ जिला चिकित्सालय बीते दो साल से मेडिकल कालेज के ही अधिनस्थ संचालित हो रहा है। मेडिकल कालेज के अधिपत में आने के बाद यहां के मेडिकल अधिकारियों की दादागिरी चरम पर है।
पहले इस अस्पताल के डीन लकडा ने जिला कलेक्टर को ही उनके अधिनस्थ नही होनें की बात कहते हुए सरेआम यह बयान जारी किया था कि मेडिकल कालेज में कलेक्टर के आदेश पर बाध्य नही है और उनका अस्पताल परिसर में दौरा उनकी बिना अनुमती नही किया जा सकता।
इसके बाद न केवल लकड़ा शासन स्तर पर निलंबित किए गए थे बल्कि शासन स्तर पर कडी चेतावनी भी उन्हें जारी करते हुए डीन पद से हटा दिया था। इस विवाद के बाद अब मेडिकल कालेज के डीन आदिले ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं।
भर्ती से लेकर कई खरीदी की गड़बडी में लिप्त और बेहद विवादास्पद रहने वाले उक्त डाक्टर ने दिनदहाड़े पत्रकारों को ही खुलेआम धमकी देते हुए यह कहा है कि मेडिकल कालेज अस्पताल के भीतर अगर घुसना है तो उनकी अनुमती बिना प्रवेश नही मिलेगा।
साथ ही साथ उन्होंने धमकी भरे अंदाज में अपने अधिनस्थ डाक्टरों को यह आदेश जारी कर दिया है कि अस्पताल के बाहर बकायदा बोर्ड लगा दें कि बिना अनुमती पत्रकारों का प्रवेश पूर्णता वर्जित है। जाते-जाते उन्होंने यह भी कहा कि अगर अनुमती बगैर कोई पत्रकार अंदर घुसता है तो उसके खिलाफ कानून कार्रवाई की जाएगी।
स्व. लखीराम मेडिकल कालेज में डीन का यह रूप उस वक्त देखने को मिला जब सारंगढ़ जेल से यहां भर्ती एक विचाराधीन बंदी की पिटाई संबंधी मामले की कव्हरेज करने के लिए कई पत्रकार वहां पहुंचे थे तब अचानक एक जूनियर डाक्टर ने कव्हरेज कर रहे एक पत्रकार का कालर पकड़कर उसका मोबाईल छिनकर गाली गलौज की।
इतना ही नही उसने यहां तक कहा कि यहां के कव्हरेज लेने से पहले अनुमती दिखानी जरूरी है और नही दिखाने पर धक्के मारकर बाहर कर दिए जाएंगे।
वहां मौजूद पत्रकारों ने बकायदा अपने आईकार्ड दिखाकर बताया कि कव्हरेज के दौरान कोई इलाज संबंधी रूकावट वो नही डाल रहे हैं और घटना घटी है तो उसका कव्हरेज करना उनकी ड्यूटी बनती है।
इसी समय मेडिकल कालेज के डीन आदिले भी वहां पहुंच गए उन्होंने अपने अधिनस्थ जूनियर डाक्टर का पक्ष लेते हुए कहा कि इस अस्पताल के भीतर आप लोग कैसे घुस गए और बिना अनुमती यहां घुसना मना है और सभी को इसकी जानकारी है।
मजे की बात यह है कि पत्रकारों ने विवाद रोकने के लिए डीन से केवल इतना ही पूछा कि आप की अनुमती संबंधी बोर्ड या कोई जानकारी डिस्पले में लगाई गई है क्या? जिसे पढ कर वे आपके पास लिखित अनुमती लेने आएं। यह अस्पताल शासन का है, आपकी निजी जागिर नही है जो मीडिया से लिखित अनुमती लाने को कह रहे हैं।
इतना सुनते ही डीन अपना आपा खो बैठै और उन्होंने वहां अधिनस्थ सुरक्षा कर्मियों और डाक्टरों को उंगली दिखाते हुए कहा कि आज के बाद इस अस्पताल में कोई भी पत्रकार बिना अनुमती प्रवेश नही करेगा। यह बोर्ड आज ही बाहर टांग दो। इसके बाद अगर कोई अंदर घुसता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
क्या कहते हैं जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी
इस संबंध मुख्य चिकित्सा अधिकारी हुबेल उरांव का कहना कि मेडिकल कालेज के डीन आदिले द्वारा सरेआम अस्पताल परिसर में घुसने संबंधी पाबंदी के मामले में अगर आदिले ने ऐसा कहा है तो गलत है चूंकि अस्पताल सबके लिए है
और इसके अंदर आने से किसी को कोई अनुमती की जरूरत नही पड़ती। पत्रकार भी कव्हरेज के लिए आते है और उन्हें अनुमती लेकर अंदर घुसना संबंधी आदेश गलत है।
प्रेस पर प्रतिबंध लगाना गलत
देश का चौथा स्तंभ पत्रकार जगत है और उन्हें कव्हरेज से कोई नही रोक सकता है अगर मेडिकल कालेज के डीन ने ऐसा आदेश जारी किया है तो उसकी निंदा की जानी चाहिए। साथ ही साथ मेडिकल कालेज अस्पताल राज्य शासन की अपनी संपत्ति है और उस पर एकाधिकार करके मीडिया पर प्रतिबंध लगाना बिल्कुल गलत है और ऐसे सिरसिरे डीन पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए।