एक स्कूल को 12 साल में भवन तक नसीब नहीं
डभरा-जांजगीर ! सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने प्रदेश व्यापी अभियान के बीच अभी भी जिले में कई ऐसे स्कूल संचालित हो रहे है,;
शिक्षा गुणवत्ता अभियान को मुंह चीढ़ा रहा कुसमुल व छोटे बिलासपुर का स्कूल
डभरा-जांजगीर ! सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने प्रदेश व्यापी अभियान के बीच अभी भी जिले में कई ऐसे स्कूल संचालित हो रहे है, जहां शिक्षा के लिए मूलभूत जरूरते तो दूर बच्चों के बैठने के लिए सुरक्षित कमरे की व्यवस्था भी नहीं मिल पाया है। ऐसा ही मामला चन्द्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत कुसमुल में संचालित नवीन प्राथमिक शाला छोटे बिलासपुर मोहल्ले से संचालित नवीन प्राथमिक शाला का है, जो 2005 में शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए खोला गया है। परन्तु आज तक इन 12 सालों के बाद भी इस विद्यालय के लिए नए भवन की स्वीकृति नहीं मिली है।
जब से नवीन प्राथमिक शाला विद्यालय छोटे बिलासपुर कुसमुल खुला है। तब से पहले विद्यालय ग्रामीण के आर-पसार बरामदें में 10 सालों से चल रहा था अब वर्तमान में मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र क्र.164 में 2 बरसों से विद्यालय संचालित किया जा रहा है। जहां विद्यालय में कुल 57 छात्र-छात्राएं पढ़ाई कर रहे है। छात्रों के लिए न तो भवन है न ही शौचालय स्वच्छ भारत मिशन की पोल खुल रही है। फिर विद्यालयीन समय में बच्चें खुले में शौच करने बाहर मैदान जाते है और दूर से पीने के पानी के लिए जाते है। ग्राम कुसमुल के शासकीय प्राथमिक शाला एवं शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला में बरसों से बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। बरसों के बाद भी दोनों विद्यालय के लिए नए भवन की स्वीकृति नहीं मिली है। शासकीय जनपद प्राथमिक विद्यालय का भवन 2012 में ढ़ह चुका है, इसके बाद भवनविहीन है। जिसे शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय कुसमुल बरसों पूर्व निर्मित खपरैल के जर्जर भवन में संचालित हो रहा है। विद्यालय भवन के अभाव में खपरैल के इस जर्जर भवन में 2 पालियों में कक्षाएं लगती है। सुबह के समय शासकीय प्राथमिक शाला एवं 12 बजे से पूर्व माध्यमिक शाला की कक्षाएं लग रही है। बरसों पुरानी भवन होने के कारण कई जगह दरारे पड़ चुकी है एवं मकान का छत में लगे मोटे लकडिय़ों को दीमक खा चुका है, जो कभी भी टूट कर छत गिर सकता है। वही बारिश के दिनों में विद्यालय में पानी भर जाता है, खपरैल होनें के कारण बारिश में जगह-जगह पानी टपकता है। जिस कारण बारिश में बच्चों की पढ़ाई बाधित होता है और छुट्टी का माहौल रहता है। इस विद्यालय के प्राथमिक शाला में 78 छात्र-छात्राएं व शासकीय पूर्व माध्यमिक विद्यालय में 145 बालक बालिकाएं अध्यापन कर रहे है। जो कि जान जोखिम में डालकर छात्र छात्राएं पढ़ाई करने मजबूर है, वहीं विद्यालय में एक हैण्डपंप है, वह भी बेकार है। पानी ही नही निकलता है। जिस बच्चों को पानी के लिए पेयजल की समस्या बना हुआ है। विद्यार्थियों के लिए विद्यालय में एक हेण्डपंप की सुविधा तक नही है। ग्राम कुसुमुल में संचालित इन दोनो विद्यालय के लिए आज तक इतने बरसों के बाद भी भवन की स्वीकृति नहीं मिल पाई है। जबकि सरकार सबका विकास एवं शिक्षा की स्तर ऊपर उठाने की बात कहती है, परन्तु यहां उल्टा साबित हो रहा है। ग्राम कुसमुल के इन दोनो विद्यालयों के लिए सर्व शिक्षा अभियान से अतिरिक्त कक्ष तक निर्माण नहीं कराया गया है और न ही नए भवन की स्वीकृति मिली है। इस जर्जर भवन में दोनो विद्यालय बारी-बारी लग रही है। जिसके कारण बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित होती है। शासकीय प्राथकि प्राथमिक शाला एवं शासकीय पूर्व विद्यालय के लिए शौचालय व दिव्यांगो के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है।
प्रशासन को है जानकारी
इस बारे में ग्राम पंचायत कुसमुल के सरपंच गिरधर बरेठ का कहना है कि ग्राम कुसमुल के छोटे बिलासपुर एवं शासकीय जनपद प्राथमिक शाला का विद्यालय भवन नहीं है और शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला का भवन जर्जर हो चुका है। इसके बारे में ग्राम पंचायत द्वारा उच्चाधिकारियों एवं क्षेत्रीय विधायक को अवगत करा चुके हंै।
विद्यालय भवन नहीं -प्रधान पाठक
इस संबंध में नवीन शासकीय प्राथमिक विद्यालय छोटे बिलासपुर के प्रधान पाठक मोहितराम साण्डे ने बताया कि इस विद्यालय का भवन नहीं है। भवन के नहीं होने के कारण पहले बरामदे में कक्षाएं लगा रहे थे। अब उच्च अधिकारियों के निर्देश पर मिनी आंगनबाड़ी केन्द्र में संचालित हो रहा है।
प्रस्ताव भेजा गया है- सीईओ
इस संबंध में जनपद पंचायत डभरा के मुख्य कार्यपालन अधिकारी नितेश कुमार उपाध्याय ने कहा कि छोटे बिलासपुर कुसमुल प्राथमिक शाला के लिए प्रशासन को भवन की स्वीकृति हेतु प्रस्ताव भेज चुके है और शासकीय जनपद प्राथमिक शाला व पूर्व माध्यमिक शाला के भवन के लिए प्रस्ताव उच्चअधिकारियों को भेजा जावेंगा।