'यूपी का दलित रोजगार मांगने वाला नहीं, रोजगार देनेवाला बनेगा'

देश में सरकारी नौकरियों की संख्या मात्र दो करोड़ के आसपास है और आरक्षण के पद मात्र 44 लाख बनते हैं;

Update: 2018-11-18 23:05 GMT

लखनऊ। देश में सरकारी नौकरियों की संख्या मात्र दो करोड़ के आसपास है और आरक्षण के पद मात्र 44 लाख बनते हैं। अत: देश के 30 करोड़ दलितों को मात्र सरकारी नौकरियों में के सहारे संतुष्ट नहीं किया जा सकता है। इस लिए इन वर्गो को रोजगार से जोड़ना होगा। यह बात रविवार को प्रदेश के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के चेयरमैन डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने कही।  

वह रविवार को राजधानी के एक निजी होटल में आयोजित दलित उद्योगपतियों के संगठन दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) के सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

सम्मेलन में डॉ. निर्मल ने कहा कि अनुसूचित जाति के लोगों को रोजगार मांगने वाला नहीं, रोजगार देने वाला बनना चाहिए। इस दिशा में डिक्की महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है। उन्होंने कहा कि उ.प्र. अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम भी हर साल एक लाख अनुसूचित जाति व जनजाति के परिवारों को रोजगार से जोड़ रहा है। इसके लिए भारत सरकार ने वित्त विकास निगम को इस वित्तीय वर्ष हेतु 68 करोड़ रुपए उपलब्ध कराए हैं। 

वहीं डिक्की के संस्थापक अध्यक्ष पद्मश्री मिलिंद कांबले ने अपने सम्बोधन में कहा कि खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं और यूपी के अनुसूचित जाति के युवाओं को इस क्षेत्र में कार्य कराने के लिए डिक्की विशेष अभियान चलाएगा। उन्होंने कहा कि नोएडा में शीघ्र ही दलित उद्योगपतियों का राष्ट्रीय समागम होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी भाग लेंगे।

सम्मेलन में शामिल प्रदेश के खाद्य प्रसंस्करण राज्यमंत्री अनिल राजभर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण विभाग डिक्की को उद्योग लगाने के लिए पूरा सहयोग करेगा।

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