कोर्ट का फैसला राजस्थान की राजनीति में पायलट की किस्मत तय करेगा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक लड़ाई के बीच, सभी निगाहें अब राजस्थान हाईकोर्ट पर टिकी हैं।;

Update: 2020-07-21 16:23 GMT

नई दिल्ली | मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच राजनीतिक लड़ाई के बीच, सभी निगाहें अब राजस्थान हाईकोर्ट पर टिकी हैं। अदालत पायलट द्वारा दायर एक मामले की मंगलवार को सुनवाई कर रही है।

कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि अदालत का फैसला जिस किसी के भी पक्ष में जाता है, तो उस खेमे में सौदेबाजी के मामले में दूसरे पर बढ़त होगी, हालांकि अशोक गहलोत के पास बहुमत साबित करने के लिए विधानसभा में आवश्यक संख्या है।

पायलट खेमे के करीबी सूत्रों ने कहा कि अगर अदालत का फैसला उनके पक्ष में आया, तो कांग्रेस नेतृत्व को उनकी शर्तो पर सचिन पायलट से बात करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

पायलट की 'घर वापसी' के बारे में पूछे जाने पर कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, "भाजपा चुनी हुई सरकार को गिराने की कोशिश करने के लिए बेनकाब हो गई है, और अब वे कह रहे हैं कि बहुमत परीक्षण की कोई आवश्यकता नहीं है और विधायकों के मामले पर चर्चा पार्टी के भीतर की जा सकती है।"

कांग्रेस विधायक दल ने मंगलवार को हाईकोर्ट के फैसले के पहले एक बैठक की।

सुरजेवाला ने कहा, "परिवार के मामले को परिवार के भीतर सुलझाया जाना चाहिए। मीडिया चैनलों के माध्यम से इसका समाधान नहीं किया जा सकता है और सचिन पायलट को भाजपा से मदद लेना फौरन बंद कर देना चाहिए।"

कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि पायलट तक पहुंचने के प्रयासों का कोई परिणाम नहीं निकला है। कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने कहा कि पायलट मोर्चे पर कोई प्रगति नहीं हुई है, लेकिन सरकार अब सुरक्षित है, और सचिन पायलट को पार्टी के साथ तालमेल पर फैसला करना है।

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