ई-कॉमर्स पालिसी के खिलाफ देश के प्रमुख व्यापारी नेताओ ने अपनाया अक्रामक रुख
विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के ई-कॉमर्स परिदृश्य को एक मुक्त खेल मैदान के रूप में व्यवहार करने की खुली अनुमति दे दी है;
रायपुर। विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों को भारत के ई-कॉमर्स परिदृश्य को एक मुक्त खेल मैदान के रूप में व्यवहार करने की खुली अनुमति दे दी है,जहां उन्हें अपने स्वयं के नियम बनाने की खुली छूट है जिसका खामियाजा देश के छोटे व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। है सरकार द्वारा उनकी कुरीतियों को रोकने के लिए अब तक कोई सार्थक कदम नही उठाया गया है और न ही उनकी कुप्रथाओं पेपर अंकुश लगाने की दिशा में कोई कार्रवाई की गई है, ये देश के व्यापरियों के लिए किसी बुरे सपने से कम नही है- आज सभी राज्यों के 33 प्रमुख व्यापारिक नेताओं ने कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के तत्वावधान में एक स्वर में एक संयुक्त बयान में ये बात कही।
हमें इस बात का गहरा खेद है कि केंद्र सरकार की ओर से ठोस कार्रवाई की उम्मीद में करीब 5 साल इंतजार करने के बाद हमें ऐसा बयान जारी करना पड़ रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार के अलावा किसी भी राजनीतिक दल की प्राथमिकता में व्यापारी नहीं हैं, किसी भी राजनीतिक दल ने विदेशी निवेश वाली ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा जारी कुप्रथाओं पर एक शब्द भी नहीं बोला है। यह सबसे आश्चर्यजनक है कि अमेरिकी सीनेटरों ने भारत में एमेजॉन द्वारा की जा रही कुप्रथाओं का संज्ञान लिया है लेकिन अभी तक किसी भी सरकारी विभाग या मंत्रालय ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया है। व्यापारिक समुदाय विदेशी वित्त पोषित ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा ठगा हुआ महसूस करता है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी और प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी आज बयान में कहा हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूरी उम्मीद है। क्योंकि वह छोटे व्यवसायों के उत्थान के लिए समय समय पर बोलते रहे है ।गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान गुजरात में व्यापार में काफी वृद्धि हुई। प्रधान मंत्री बनने के बाद भी, उन्होंने व्यापारियों की कई मांगों को स्वीकार किया है लेकिन दुर्भाग्य से नौकरशाही व्यवस्था ने छोटे व्यवसायों के बारे में उनकी दृष्टि को बहुत विकृत कर दिया है। व्यापारियों को पेंशन, राष्ट्रीय व्यापारी कल्याण बोर्ड का गठन, व्यापारियों के लिए बीमा, सरलीकृत जीएसटी, मुद्रा योजना और कई अन्य कदम उनके द्वारा उठाए गए लेकिन दुख की बात है कि ये सभी योजनाएं बहुत विकृत हो गईं और इनमे जीएसटी सबसे जटिल कर प्रणाली में से एक बन गया है। हमने प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगा है और हमे पूरा यकीन है कि वह जरूरी कदम उठाएंगे। .
संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने वालों ने कहा कि देश के लगभग 8 करोड़ व्यापारी लगभग 40 करोड़ लोगों को रोजगार दे रहे हैं और लगभग 115 लाख करोड़ का वार्षिक कारोबार कर रहे हैं, लेकिन सबसे आश्चर्य की बात यह है कि अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान देने वाले इस क्षेत्र को बुरी तरह उपेक्षित किया गया है। ये सभी जानते है कि व्यापारिक समुदाय देश को अच्छी सेवाएं दे रहा है लेकिन यह क्षेत्र आज तक किसी भी नीति से वंचित है। .हमने तय किया है कि अगर वोट बैंक की राजनीति चल रही है, तो व्यापारियों को खुद को वोट बैंक में बदलने में कोई दिक्कत नहीं होगी।