बिजली की लचर व्यवस्था से उपभोक्ता परेशान
मुख्यालय सहित जिले भर में इनदिनों बिजली गुल होने की समस्या से उपभोक्ता परेशान है;
जांजगीर। मुख्यालय सहित जिले भर में इनदिनों बिजली गुल होने की समस्या से उपभोक्ता परेशान है। कभी मेंटेनेंस के नाम पर तो कभी लाईन में खराबी के नाम पर घंटों बिजली गुल रहना आम बात हो चली है। इतना ही नहीं ऐसी परिस्थिति में विभाग के अधिकांश मोबाईल भी बंद हो जाते है। इस बीच आम नागरिकों के द्वारा दफ्तरों का घेराव भी विभाग के लिए बेअसर साबित हुआ है। गांव से लेकर शहर तक कहीं बिजली कटौती तो कहीं लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है। विभाग द्वारा सलाना मेंटेनेंस के नाम पर 70 लाख रुपए खर्च करती है, इसके बावजूद विद्युत व्यवस्था बहाल नहीं हो पा रही है।
गौरतलब है कि सितंबर माह में पड़ रही उमस भरी गर्मी से लोगों का हाल-बेहाल है। गांव एवं शहरों में अघोषित रुप से बिजली कटौती के साथ-साथ लो वोल्टेज की समस्या बनी हुई है, जिसके चलते लोगों को भादो माह में भी जेठ-बैसाख की गर्मी के तरह पसीने से तर-बतर होना पड़ रहा है। गर्मी से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। ऐसा नहीं है कि मंडल इसको लेकर सजग नहीं है। विभाग द्वारा सलाना मेटेंनेस के नाम पर टेंडर जारी किया जाता है। इस वर्ष लगभग 70 लाख रुपए में तीनों संभाग में दिया गया है। विभाग के अनुसार चांपा संभाग में लगे विद्युत के सब स्टेशनों सहित 8 डीसी के लिए 23 लाख 50 हजार 430 रुपए, सक्ती संभाग में 9 डीसी के लिए 27 लाख 4 हजार 890 रुपए तथा अकलतरा संभाग में 6 डीसी के लिए 19 लाख 57 हजार 922 रुपए व नैला जोन में मेटेनेंस के लिए 9 लाख 65 हजार 180 रुपए खर्च कर रहे है। मेटेनेंस करने के लिए सभी डीसी में कर्मचारी नियुक्त किए गए है, जो मुख्य रुप से तीनों संभागों में मेटेनेंस का काम मुख्य रुप से देखते है। इसी तरह तीनों संभागों को मिलाकर 75 कर्मचारी ठेका में काम कर रहे है।
इसके अलावा विभाग द्वारा अपने कर्मचारियों को भी मेटेनेंस के लिए लगाए गए है। विभाग के अनुसार चांपा संभाग में कुल 164 मेटेनेंस कर्मचारियों सेटअप है, जिनमें 115 कार्यरत है, वहीं 49 पद रिक्त है। इसी तरह सक्ती संभाग में 177 का सेटअप है। इसके विरुद्ध 150 कर्मचारी कार्यरत है। यहां 27 पद रिक्त है। इसी तरह अकलतरा संभाग में 112 का सेटअप है, जिनमें 68 पद कार्यरत है और 44 पद रिक्त है। विभाग द्वारा मेटेनेंस के दौरान अपने कर्मचारियों को इस कार्य में लगाया जाता है। इसके बावजूद भी जिले में विद्युत व्यवस्था बदहाल है। कहीं ट्रांसफार्मर जलने के नाम पर सप्ताहभर तक बिजली बंद कर दी जाती है तो कहीं तार टूटने व मेंटेनेंस की बात कहते हुए घंटों बिजली कटौती की जाती है। विभाग हर साल मेंटेनेंस के नाम पर लगभग पौन करोड़ रुपए खर्च करती है। इस पर विभाग की ओर से सफाई दी जाती है कि ठेकेदार के कर्मचारी व विभागीय कर्मचारियों द्वारा जहां कहीं भी बिजली बंद की सूचना मिलती है, वहां तत्काल मेटनेंस कार्य कराया जाता है। अकलतरा, सक्ती व चांपा में चतुर्थ श्रेणी व तकनीकी कर्मचारियों की कमी है। इस संबंध में उच्चाधिकािरयों को अवगत कराया गया है। मगर उपभोक्ताओं का क्या जो बिजली आने के इंतजार में घर के बाहर सड़कों पर किसी तरह राहत ढूढते रहते है।
मुख्यालय में नहीं रहते कर्मचारी
क्षेत्र के विद्युत सब स्टेशनों में विद्युत आपूर्ति दुरुस्त रखने कर्मचारियों की नियुक्ति की गई है, लेकिन शाम ढलते ही कर्मचारी यहां से नदारद रहते है। ऐसे में सब स्टेशन एक ऑपरेटर के भरोसे संचालित होता है। विद्युत विभाग के अधिकारी की उदासीनता के चलते शहर सहित ग्रामीण क्षेत्र के विद्युत व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। स्थिति यह है कि रात्रि के समय बिजली गुल होने से ग्रामीणों को विद्युत व्यवस्था बहाल करने के लिए सब स्टेशन के कई चक्कर लगाने पड़ते है।
वहीं कर्मचारियों को ध्यान नहीं देने से अंधेरे में ही रात गुजारनी पड़ती है।
हवा चली नहीं की पावर कट
बिजली विभाग द्वारा प्रत्येक साल मेंटनेंस किया जाता है, लेकिन इसकी जानकारी इसी बात से लगती है कि थोड़ी सी भी हवा चलती नहीं कि बिजली बंद हो जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति बद से बदतर हो गई है। वहां एक-दो घंटे नहीं बल्कि तीन से चार दिन तक बिजली बंद रहती है जिसके कारण ग्रामीणों को भीषण गर्मी में परेशानी होना पड़ता है।