कांग्रेस में होगा वही जो राहुल चाहेंगे

प्रदेश कांग्रेस संगठन में अगली सरकार कांग्रेस की बनाने के लिए जबर्दस्त कवायद चल रही है। नए प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के आ जाने के बाद सारी रणनीति भी अह नए सिरे से तैयार की जा रही है;

Update: 2017-09-18 16:55 GMT

प्रदेश कांग्रेस संगठन में अगली सरकार कांग्रेस की बनाने के लिए जबर्दस्त कवायद चल रही है। नए प्रदेश प्रभारी पीएल पुनिया के आ जाने के बाद सारी रणनीति भी अह नए सिरे से तैयार की जा रही है। कुछ दिन पहले ही श्री पुनिया ने प्रदेश के कांग्रेस विधायकों से पृथक-पृथक अकेले में चर्चा की, यहां तक चर्चा में प्रदेश अध्यक्ष भूपेश बघेल को भी नहीं फटकने दिया गया।

श्री पुनिया का सीधा संबंध दिल्ली में राहुल गांधी से है इसलिए प्रदेश की हर छोटी बड़ी गतिविधियों की जानकारी उन तक पहुंच रही है और उनके निर्देशों परही श्री पुनिया रणनीति को अंजाम देने में लगे हुए हैं। पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस को भारी शिकस्त मिलने के कारण वह सत्ता से बाहर रही है और अगर अब चौथी पारी में भी कांग्रेस कारगर रणनीति नहीं अपनाई तो फिर भाजपा को मात नहीं दी जा सकेगी। और अगर कांग्रेस विजय हासिल नहीं कर सकी तो यह संदेह प्रबल हो जाएगा कि प्रदेश से कांग्रेस का किस्सा ही कहीं खत्म न हो जाए।

क्योंकि कांग्रेस का ही एक दूसरा धड़ा जोगी कांग्रेस के नाम से प्रदेश में समानांतर कांग्रेस चला रही है उसने अपना जनता कांग्रेस के नाम से नया अस्तित्व भी खड़ा कर लिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी व उनके पुत्र अमित जोगी जनता कांग्रेस के मुख्य संवाहक हैं।

अजीत जोगी छत्तीसगढ़ की मिट्टी और संस्कृति से रचे बसे हैं इसलिए वे बहुत सहज ढंग से ग्रामीणों के संग पारिवारिक रिश्ते कायम कर लेते हैं, उनसे घुल मिल जाते हैं, हंसी मजाक और चिला-रोटी फरा चटनी खाने में भी कमी नहीं करते यही कारण है कि उनका जनाधार कांग्रेस की तुलना में ज्यादा असरदार और मजबूत भी है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के साथ किसानों की भूमि हड़पने का जो मामला सामने आया है अभी इस प्रकरण पर दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो पाया है।

ऐसी स्थिति में पाक साफ छवि न होने से कांग्रेस के अंदर भी नेतृत्व को लेकर कोई एक राय नहीं है। यद्यपि फिलहाल अध्यक्ष बदलने की भी कोई गुंजाइश नहीं है क्योंकि श्री पुनिया प्रदेश प्रभारी बनते ही कह गए हैें कि अगला चुनाव भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। जबकि नेता प्रतिपक्ष टीएस सिंहदेव बेहद सुलझे हुए अविवादित नेता हैं तथा उनकी छवि बहुत साफ सुथरी मानी जाती है।

अगर अध्यक्ष बदलने की नौबत आ भी जाए तो कांग्रेस के पास अभी एक भी ऐसा जनप्रिय दमदार नेता नहीं है जो रमन सिंह को टक्कर दे सके यद्यपि सत्ता से बाहर रहकर सत्तासीन को टक्कर देना बड़ी चुनौती होती है पर प्रखर जनप्रिय व्यक्ति से हवा का रूख बदल भी जाता है। कांग्रेस ने किसी भी चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा पेश नहीं किया है। 2018 के चुनाव में अगर कांग्रेस जीत भी जाए तो मुख्यमंत्री के लिए घमासान भी सुनिश्चित होगा।

यद्यपि मुख्यमंत्री राहुल गांधी तय करेंगे। बहरहाल यहतो दूर की कोड़ी है फिलहाल कांग्रेस जीतने के लिए जो रणनीति बना रही है वह कितनी कारगर होगी यह अहम सवाल है। बताया जा रहा है जिलाध्यक्षों को टिकट नहीं दी जाएगी ऐसे में अच्छे दमदार लोग जिलाध्यक्ष बनना नहीं चाह रहे हैं। क्योंकि हर सक्रिय व्यक्ति कांग्रेस में टिकट चाहेगा ऐसी स्थिति में जिलाध्यक्ष की कुर्सी पर फिर कमजोर लोग ही बैठ पाएंगे।

अब कांग्रेस में जान डालने एक फार्मूले पर काम चल रहा है। सौ ऐसे वरिष्ठों की तलाश है जिनको एक-एक विधानसभा का प्रभारी नियुक्त किया जा सके ताकि उनके अनुभवों, व्यवहारों और संबंधों का लाभ कांग्रेस को मिल सके। अब ऐसे वरिष्ठ सदस्य कांग्रेस में कितने हैं कहना कठिन है क्योंकि ज्यादातर सदस्य जोगी कांग्रेस से जुड़ गए हैं। इस बार कांग्रेस को खतरा भाजपा से कम और जोगी कांग्रेस से ज्यादा है, इसलिए अंत जोगी कांग्रेस से हाथ मिलाने से होजाए तो आश्चर्य नहीं होगा। लेकिन यह सर्वमान्य सत्य है कांग्रेस में होगा वही जो राहुल चाहेंगे।

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