सीएए के विरोध में कांग्रेस देख रही उत्तर प्रदेश में भविष्य
दशकों से उत्तर प्रदेश की में अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में अपना भविष्य दिखाई दे रहा है ।;
लखनऊ। दशकों से उत्तर प्रदेश की में अपनी खोई राजनीतिक जमीन तलाश रही कांग्रेस को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में अपना भविष्य दिखाई दे रहा है ।
पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा इस कानून को लेकर आक्रामक तेवर अख्तियार किये हुये हैं। सीएए के विरोध में 19 दिसम्बर को राजधानी लखनऊ में भड़की हिंसा अगले दिन राज्य के अन्य हिस्सों में फैल गयी। आगजनी, लाठीचार्ज, फायरिंग और पत्थरबाजी में सैंकड़ों लोग घायल हुये जिसमें 288 पुलिस वाले भी थे। इस दौरान 61 पुलिसकर्मी फायरिंग में घायल हुये ।
श्रीमती वाड्रा 27 दिसम्बर को दो दिन के कार्यक्रम में लखनऊ आईं लेकिन चार दिन रूक गईं । इस चार दिन में जोरदार राजनीतिक ड्रामा हुआ। जेड प्लस सुरक्षा वाली प्रियंका जब अपनी सुरक्षा में लगे लोगों को बिना बताये हिंसा के मामले में गिरफ्तार किये गये अवकाश प्राप्त भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी एस आर दारापुरी के घर जाने लगीं तो पुलिस ने उन्हें रोका । सड़क पर हुये ड्रामें के बाद कांग्रेस महासचिव ने आरोप लगाया कि उन्हें धक्का दिया गया और गला दबाने की कोशिश की गई हालांकि दूसरे ही दिन वो अपने लगाये आरोप से मुकर गईं ।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से भी मिला और प्रदर्शन के दौरान पुलिस की कार्रवाई पर जांच की मांग की । प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश अघ्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत साल लोग शामिल थे । हालांकि मांग में हुये हिंसक प्रदर्शन का जिक्र नहीं था । जांच की मांग सिर्फ पुलिस कार्रवाई पर थी ।
कांग्रेस को सीएए के विरोध में समर्थन मिलता दिखाई दे रहा है ,जिस पर इस कानून का विरोध कर रहे मुख्य विपक्षी समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की पैनी नजर है । सपा भी इस मामले में पूरी तरह आक्रामक है । राज्य में हुये प्रदर्शन में सपा ने पूरे जोरशोर से हिस्सा लिया था । इसीलिये हिंसा और आगजनी को लेकर ज्यादा मुकदमें इसी पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हैं ।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कहते हैं कि पार्टी के लोगों को ऐसे मुकदमों से डरने की जरूरत नहीं है । वो दावा करते हैं कि साल 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी की ही सरकार बनेगी और सभी मुकदमें वापस लिये जायेंगे । सपा भी कांग्रेस की तरह इस कानून को संविधान के खिलाफ बता रही है ।
दूसरी ओर बसपा ने सीएए के विरोध का अलग तरीका अपनाया है । पार्टी प्रमुख मायावती ने अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं को किसी भी तरह के हिंसक प्रदर्शन से दूर रहने की हिदायत पहले ही दे दी थी । सुश्री मायावती ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ता विरोध का अलग तरीका अपनायें । लोकतंत्र में हिंसा की कोई जगह नहीं है । उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से हिंसक प्रदर्शन के लिये कांग्रेस और सपा को निशाने पर भी लिया ।
पार्टी प्रमुख की हिदायत के बाद बसपा के नेता और कार्यकर्ता प्रदर्शन से दूर रहे । सुश्री मायावती ने प्रियंका गांधी वाड्रा का नाम लिये बिना उन पर निशाना साधा और कहा कि कांग्रेस महासचिव को उत्तर प्रदेश में राजनीतिक ड्रामेबाजी करने के बजाय राजस्थान में कोटा के अस्पताल में सौ से भी ज्यादा बच्चों की मौत पर दुख जताना चाहिये और वहां जाना चाहिये । बेहतर होता वो उन मां के आंसू पोछती जिनकी कोख उजड़ गई लेकिन वो वहां नहीं जायेंगी क्योंकि राजस्थान में उनकी पार्टी की सरकार है ।
सुश्री मायावती ने कहा कि कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में राजनीतिक ड्रामेबाजी से कुछ हासिल होने वाला नहीं है । बसपा प्रमुख कांग्रेस की ओर से आ रहे खतरे को भांप रही है। इसीलिये वो राज्य सरकार की अपेक्षा कांग्रेस और उसकी महासचिव पर ज्यादा आक्रामक हैं।
दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा पर सख्त रूख बना हुआ है । हिंसा,आगजनी और सरकारी तथा निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों के पोस्टर जारी कर उनको वसूली की नोटिस जारी की जा चुकी है । बुलंदशहर में सरकारी संपत्ति के नुकसान की दंगाइयों ने भरपाई भी कर दी है । जिला प्रशासन ने 6 लाख 27 हजार रूपये के नुकसान की नोटिस दी थी जिसकी भरपाई मुस्लिम संगठनों की ओर से की गई ।
पुलिस की जांच में हिंसा और आगजनी में पापुलर फ्रंट आफ इंडिया का नाम आ रहा है जो हिंसा में विश्वास रखने वाला इस्लामिक संगठन है । पुलिस ने इस संगठन के 15 से भी ज्यादा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है । कुछ लोग फरार हैं । पुलिस को इस संगठन के बैंक खातों में एक सौ करोड़ रूपये होने का पता चला है । यह संगठन कई राज्यों में फैला है और उत्तर प्रदेश सरकार ने इस पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी केंद्र सरकार को भेजा है ।
राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि प्रतिबंधित सिमी के लोग ही इस संगठन में आ गये हैं जो देश विरोधी गतिविधियों में संलग्न हैं । सरकार ऐसे किसी भी व्यक्ति को नहीं छोड़ेगी और न ही उनको बचाने वालों की पैरवी सुनेगी ।