लेटरल एंट्री पर चिराग पासवान को मिला जदयू का साथ, जताई असहमति

लेटरल एंट्री को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच चिराग पासवान को अब जनता दल यूनाइटेड का साथ मिला है;

Update: 2024-08-20 13:39 GMT

पटना। लेटरल एंट्री को लेकर मचे सियासी बवाल के बीच चिराग पासवान को अब जनता दल यूनाइटेड का साथ मिला है।

जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन सिंह ने लेटरल एंट्री पर असहमति जताई है।

उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री अगर केंद्र सरकार जमीन पर उतारना चाहती है, तो इसके लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि आरक्षण के प्रावधानों पर किसी भी प्रकार की आंच ना आए, लेकिन अगर ऐसा होता है, तो इस अवधारणा को जमीन पर उतारने से बचना चाहिए।

उन्होंने खास बातचीत में कहा, “निसंदेह लेटरल एंट्री का उद्देश्य बेहतर है, जो लोग भी सरकारी व निजी प्रतिष्ठानों में उत्कृष्ट सेवाएं दे रहे हैं, उन्हें भी केंद्र सरकार में अपनी सेवाएं देने का मौका लेटरल एंट्री के जरिए मिल सकता है, लेकिन संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा को ध्यान में रखते हुए यह लाया जा रहा है, तो मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि लेटरल एंट्री में भी आरक्षण के प्रावधानों का पालन किया जाना चाहिए।”

वहीं, जब उनसे इस पर जदयू के रुख के बारे में सवाल किया गया, तो उन्होंने दो टूक कहा, “हम लोग इस पर पहले से ही अपनी असहमति जता चुके हैं। हमें पूरा विश्वास है कि केंद्र सरकार हमारी आपत्तियों को जरूर ध्यान में रखेगी।”

उल्लेखनीय है कि लोक जन शक्ति पार्टी के प्रमुख चिराग पासवान ने सोमवार को आईएएनएस से बातचीत के दौरान कहा कि हमारी पार्टी लेटरल एंट्री का विरोध करती है। उन्होंने कहा था कि मैं खुद इसे निजी तौर पर केंद्र सरकार के समक्ष उठाऊंगा और सरकार से इस पर विचार करने की मांग करूंगा।

लेटरल एंट्री बिना यूपीएससी परीक्षा के विभिन्न सरकारी मंत्रालय में सीधे सचिव और उपसचिव जैसे पदों पर पदस्थ होने का मौका अभ्यर्थियों को देता है। इसे लेकर विवाद गहराया हुआ है। आलोचकों का कहना है कि इससे आरक्षण के हितों पर कुठाराघात पहुंचेगा, तो वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि अगर इस अवधारणा को हम जमीन पर उतारना चाहते है, तो इसके लिए हमें लेटरल एंट्री में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी होगी, ताकि दलित, ओबीसी और आदिवासी समुदाय के लोगों के हितों पर प्रहार न हो।

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