चाइनीज उत्पादों ने दो सालों में खोया भरोसा : आईएएनएस सीवोटर सर्वेक्षण
देशभर में किए गए आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण के हालिया नतीजों के मुताबिक, चीन से आयातित उत्पादों में लोगों का भरोसा पिछले दो सालों में काफी कम हुआ है;
नई दिल्ली। देशभर में किए गए आईएएनएस-सीवोटर सर्वेक्षण के हालिया नतीजों के मुताबिक, चीन से आयातित उत्पादों में लोगों का भरोसा पिछले दो सालों में काफी कम हुआ है। सर्वेक्षण के निष्कर्षों से पता चलता है कि चीनी कंपनियों व उत्पादों में लोगों के विश्वास में भारी गिरावट आई है क्योंकि साल 2018 में 5.6 प्रतिशत लोगों को चीनी उत्पादों पर कोई भरोसा नहीं था, अब 57.4 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिन्हें चीनी उत्पादों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं है।
साल 2018 में 25.8 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा था कि उन्हें चीनी सामानों पर कोई यकीन नहीं है, साल 2020 में इस संख्या में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है, अब 62.6 प्रतिशत लोगों का यह विचार है।
दूसरी तरफ, साल 2018 में 20.2 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने ऐसा कहा था कि उन्हें चीनी सामानों पर भरोसा है, जबकि अब केवल 5.2 प्रतिशत लोग चीनी उत्पादों पर भरोसा रखते हैं। थोड़ा बहुत यकीन रखने वाले 46.9 प्रतिशत लोगों में भी साल 2020 में कमी देखी गई है, अब इनकी दर केवल 20.2 प्रतिशत ही है।
यह इस बात की ओर इशारा करता है कि चीन के वुहान शहर से फैलने वाले कोरोनावायरस महामारी के चलते विश्व स्तर पर लोग इस देश से खासा नाराज हैं। कई देश सस्ते मूल्य पर विदेशी कंपनियों का अधिग्रहण करने के इच्छुक चीनी कंपनियों के खिलाफ रोक लगाने के लिए नीतिगत ढाचा भी तैयार कर रहे हैं।
भारत ने भी भारतीय कंपनियों को अवसरवादी अधिग्रहण से बचाने के लिए एक नीति तैयार की है और ऐसा मूल्यांकन में गिरावट के चलते हुआ है। अब ऐसे में जिन देशों के साथ भारत जमीन साझा करता है, उन्हें किसी भी निवेश के लिए सरकार से मंजूरी लेनी होगी।
सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है कि चीनी उत्पादों की तुलना में भारत में बने सामानों ने लोगों के विश्वास को हासिल किया है। साल 2018 में 70.7 प्रतिशत से लेकर साल 2020 में इस दर में 74.4 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है।
जिन उत्तरदाताओं ने यह कहा कि उन्हें मेड इन इंडिया उत्पादों पर बहुत यकीन है, उनमें 72.6 से 75.9 तक की वृद्धि हुई है।
कुल मिलाकर आईएएनएस-सीवोटर ट्रैकर के मुताबिक, जहां चीनी उत्पादों ने लोगों का विश्वास खोया है, वहीं मेड इन इंडिया इस दिशा में अव्वल रही है।