चीन की इच्छा, भारत-नेपाल-चीन का आर्थिक गलियारा बने
चीन के वरिष्ठ राजनयिक वांग यी ने बुधवार को कहा कि बीजिंग चाहता है कि भारत, चीन-नेपाल संपर्क परियोजना में शामिल हो;
- गौरव शर्मा
बीजिंग। चीन के वरिष्ठ राजनयिक वांग यी ने बुधवार को कहा कि बीजिंग चाहता है कि भारत, चीन-नेपाल संपर्क परियोजना में शामिल हो। उन्होंने साथ ही कहा कि दोनों देश के लिए इस हिमालयी देश का विकास साझा लक्ष्य होना चाहिए।
नेपाल, भारत और चीन के बीच बसा हुआ है और पारंपरिक रूप से भारत के ज्यादा करीब है। लेकिन, बीजिंग ने यहां कई क्षेत्रों में निवेश कर उपस्थिति दर्ज कराई है।
वांग ने नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार गयावाली से मुलाकात के बाद कहा, "चीन और नेपाल ट्रांस-हिमालय संपर्क नेटवर्क के एक लंबे दृष्टिकोण के लिए सहमत हुए हैं।"
उन्होंने कहा, "हम विश्वास करते हैं कि यह नेटवर्क अगर अच्छे तरीके से विकसित हो तो यह चीन, नेपाल और भारत को जोड़ने वाले आर्थिक गलियारे की स्थिति मुहैया करा सकता है।"
वांग ने कहा, "हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह के सहयोग से तीनों देशों के विकास और समृद्धि में योगदान मिलेगा।"
उन्होंने कहा कि नेपाल पहले से ही चीन की बेल्ट एंड रोड परियोजना का हिस्सा है। नेपाल में चीन का दखल भारत के लिए चिंता का सबब है। प्रधानमंत्री के.पी. शर्मा ओली के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार को चीन का करीबी माना जाता है।
वांग ने कहा, "नेपाल के विकास पर चीन और भारत की साझा सहमति होनी चाहिए। दो बड़ी उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं, चीन और भारत को नेपाल समेत अपने पड़ोसियों को लाभ पहुंचाना चाहिए।"
उन्होंने कहा, "हम एक ही पहाड़ और नदी से जुड़े पड़ोसी हैं। यह एक तथ्य है जो दुनिया में कुछ भी बदलाव होने के बाद भी नहीं बदलेगा।"
वांग ने कहा, "नेपाल के दो पड़ोसी होने के नाते, चीन और भारत को सफलतापूर्वक राजनीतिक बदलाव के बाद नेपाल के नए विकास में मदद करना चाहिए। हम नेपाल में स्थिरता और समृद्धि देखना चाहते हैं।"