बच्चों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने की जरूरत : न्यायमूर्ति रंजन गोगोई
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भारत में न्यायिक प्रक्रिया काफी लंबी चलती है;
नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश रंजन गोगोई ने शुक्रवार को कहा कि यह बात किसी से छुपी नहीं है कि भारत में न्यायिक प्रक्रिया काफी लंबी चलती है, जबकि बच्चों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने की जरूरत होती है और अब इसके लिए तत्काल कुछ किए जाने की जरूरत है। न्यायमूर्ति रंजन गोगोई ने शुक्रवार को नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की पुस्तक 'एवरी चाइल्ड मैटर्स' का विमोचन किया।
इस मौके पर गोगोई ने कहा, "यह किताब बहुत ही महत्वपूर्ण सवाल उठाती है कि क्या हरेक बच्चा हमारे लिए मायने रखता है। इसका जवाब 'हां' में है। यह बात अब किसी से छुपी हुई नहीं है कि हमारी न्यायिक प्रक्रिया काफी लंबी चलती है। लेकिन बच्चों को जल्द से जल्द न्याय दिलाने की जरूरत होती है और अब हम इसके लिए इंतजार नहीं कर सकते हैं। बाल र्दुव्यापार को खत्म करने के लिए सामाजिक और राजनीतिक इच्छाशक्ति की बहुत ही जरूरत है। यह इच्छाशक्ति जितनी ज्यादा होगी हमारे बच्चे उतनी ही जल्द स्वतंत्र होंगे।"
कैलाश सत्यार्थी ने कहा, "अगर हम सत्य, अहिंसा, न्याय और शांति के साथ जीना चाहते हैं तो हमारे लिए हरेक बच्चा और हरेक शब्द मायने रखता है। लेकिन आज हमें यह देखने को मिल रहा है कि मानवीयता और करुणा के अभाव में शब्द अपने अर्थ खोते जा रहे हैं और बचपन सिसक रहा है। बच्चों के लिए मैं जब लिखता हूं, तो चाहता हूं कि उस पर अमल की कार्रवाई भी हो। इसीलिए मेरे आलेख जल्द से जल्द कार्रवाई की जरूरत पर बल देते हैं और ये उसी की अभिव्यक्ति हैं। मेरा लेखन मेरे संघर्ष का प्रतिबिंब है।"
पुस्तक के प्रकाशक व कार्यक्रम के आयोजक प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने कहा, "हमें इस बात का गर्व है कि हमने कैलाश सत्यार्थी की किताब को प्रकाशित किया है। बच्चों के अधिकारों के लिए सतत संघर्ष करने वाले वे हमारे समय के चैम्पियन हैं।"
गौरतलब है कि सुरक्षित बचपन बनाने के उद्देश्य से सत्यार्थी द्वारा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में लिखे आलेखों और साक्षात्कारों को इस पुस्तक में संकलित किया गया है।