मनरेगा से गांधी का नाम हटाने पर कांग्रेस का भाजपा पर सीधा वार

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से गांधी जी का नाम हटाने के प्रस्ताव को भाजपा का राजनीतिक दिवालियापन करार दिया है;

Update: 2025-12-18 16:22 GMT

गांधी जी के नाम बदलने की कोशिश को कांग्रेस ने बताया राष्ट्रपिता के मूल्यों पर हमला

  • दीपक बैज बोले भाजपा मनरेगा को कमजोर कर रही, गरीबों का अधिकार छीना जा रहा
  • कांग्रेस का आरोप गांधी स्मृति मिटाकर गोडसे महिमामंडन की राह पर भाजपा
  • मनरेगा विवाद में कांग्रेस का हमला, कहा हर हाथ को काम दो का सिद्धांत खतरे में

रायपुर। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दीपक बैज ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से गांधी जी का नाम हटाने के प्रस्ताव को भाजपा का राजनीतिक दिवालियापन करार दिया है।

उन्होंने गुरुवार को कहा कि यह निर्णय महात्मा गांधी के प्रति भाजपा और आरएसएस की वैचारिक असहजता और विद्वेष को उजागर करता है। गांधी जी श्रम की गरिमा, सामाजिक न्याय और गरीबों के प्रति राज्य की नैतिक जिम्मेदारी के प्रतीक रहे हैं। ऐसे में एक जन-केंद्रित कल्याणकारी कानून से उनका नाम हटाना राष्ट्रपिता के मूल्यों को मिटाने का प्रयास है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने मनरेगा के माध्यम से रोजगार को कानूनी अधिकार बनाया था। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई, जिससे करोड़ों गरीबों को सम्मानजनक आजीविका मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार और राज्य की भाजपा सरकार मनरेगा को कमजोर करने और अंततः बंद करने की साजिश कर रही हैं। पिछले 11 वर्षों में मनरेगा के बजट में लगातार 30 से 35 प्रतिशत तक कटौती की गई, जबकि मजदूरी दरों में नाममात्र की वृद्धि हुई है। इसका सीधा असर ग्रामीण मजदूरों की आय पर पड़ा है, जबकि महंगाई लगातार बढ़ रही है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि संसद में मनरेगा का नाम बदलने के लिए विधेयक लाना भाजपा की गांधी जी के प्रति दुर्भावना को दर्शाता है। उन्होंने आरोप लगाया कि गांधी जी की पुण्य स्मृति को मिटाने और नाथूराम गोडसे के महिमामंडन का प्रयास किया जा रहा है। हालांकि भाजपा की यह सोच गलत है कि केवल नाम बदलने से गांधी जी को जनमानस से दूर किया जा सकता है।

दीपक बैज ने मनरेगा को जन आंदोलनों से जन्मा कानून बताते हुए कहा कि यह “हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो” के सिद्धांत पर आधारित है। यूपीए शासनकाल में सड़क निर्माण, तालाब, कुएं, जल संरक्षण और सूखा राहत जैसे कार्यों के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में न तो पर्याप्त काम मिल रहा है और न ही समय पर भुगतान, जिससे ग्रामीण जनता परेशान है।

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