सहारनपुर जेल से रिहा हुए चंद्रशेखर, रिहा होते ही भाजपा के खिलाफ खोला मोर्चा

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) में निरुद्ध भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को पुलिस ने शुक्रवार तड़के रिहा कर दिया;

Update: 2018-09-14 11:31 GMT

सहारनपुर।  उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में जातीय हिंसा भड़काने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून(रासुका) में निरुद्ध भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण को पुलिस ने आज तड़के रिहा कर दिया। 

पुलिस सूत्रों ने बताया कि भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर रावण को सिर्फ बदले हालात और उनकी मां के आग्रह की वजह से रिहा किया गया है। गौरतलब है कि चंद्रशेखर को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हुए जातिगत संघर्ष का जिम्मेदार बताते हुए पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह पिछले साल जून महीने से रासुका के मामले में जेल में बंद थे।

सहारनपुर जेल से रिहा होने के बाद अपने गांव छुटमुलपुर पहुंचे चंद्रशेखर ने अपनी गिरफ्तारी और रिहाई को भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) सरकार की बड़ी साजिश करार दिया। उन्‍होंने कहा कि जो भी इस सरकार के खिलाफ आवाज उठाता है, उसको सरकार बंद करवा देती है। जेल में मुझे पता चला कि सरकार किस तरह निर्दोष लोगों का उत्‍पीड़न करती है।

खुद को निर्दोष बताते हुए उन्होंने कहा, “मेरा मकसद उन दिनों सहारनपुर को सांप्रदायिक हिंसा से बचाना था. मैं सभी लोगों की मदद करना चाहता था।”

उन्‍होंने कहा, “हमने भाजपा को कैराना चुनाव में आईना दिखा दिया है, अभी तो लड़ाई शुरू हुई है। अब इस सरकार से सीधे लड़ाई लड़ी जाएगी। मैं अपने लोगों से 2019 में भाजपा को सत्‍ता से उखाड़ फेंकने के लिए कहूंगा।”

भीम आर्मी का मकसद समता और समानता बताते हुए उन्‍होंने आने वाले चुनाव में भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले महागठबंधन को साथ देने वाली बात कही।

पुलिस भीम आर्मी का गठन करीब तीन साल पहले किया गया था और यह पिछड़ी जातियों में खासा प्रचलित है। स्थानीय लोगों के अनुसार भीम आर्मी काफी आक्रमक रूप से पिछड़ी जातियों से जुड़े युवा और अन्य को जागरूक करने में लगा है। यही वजह है कि आज भीम आर्मी के 300 के करीब स्कूल चल रहे हैं।

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