राज्यसभा में महिला आरक्षण विधेयक पारित करने का आह्वान

पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राज्यसभा के सदस्यों ने गुरुवार को लंबित महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग की;

Update: 2018-03-08 21:29 GMT

नई दिल्ली। पार्टी लाइन से ऊपर उठकर राज्यसभा के सदस्यों ने गुरुवार को लंबित महिला आरक्षण विधेयक को पारित करने की मांग की। सभापति एम. वेंकैया नायडू ने सरकार को सुझाव दिया कि देश के त्वरित विकास के लिए इसे शीर्ष प्राथमिकता पर रखना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, नायडू ने सदस्यों को इस मुद्दे पर बोलने का अवसर दिया और राजनीतिक पार्टियों से इन मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं करने की सलाह दी।

सदन की कार्यवाही सुबह शुरू होते ही नायडू ने महिला सदस्यों और उनके माध्यम से देश की सभी महिलाओं को महिला दिवस की शुभकामनाएं दी और महिलाओं से संबंधित मुद्दे पर बोलने की इजाजत दी।

लैंगिक असमानता, महिलाओं की सुरक्षा, बच्चियों के साथ भेदभाव पर नायडू ने उम्मीद जताई कि सरकार सदन की संवेदनाओं की इज्जत करेगी और महिला सशक्तीकरण के अधूरे एजेंडा का ख्याल रखेगी।

कांग्रेस सदस्य अंबिका सोनी ने सदन से संसद और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीट आरक्षित करने के लिए प्रस्वाव पारित करने का आग्रह किया।

सोनी की मांग का रेणुका चौधरी, कुमारी शैलजा, रजनी पाटिल और के. कनिमोझी ने समर्थन किया।

कनिमोझी ने कहा कि पूरा सदन इस पर सरकार के साथ है।

उन्होंने कहा, "बिल को पास कीजिए, हम आपके साथ हैं।"

इस अवसर पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के योगदान को याद किया और सदन के सदस्यों व देश के लोगों से महिलाओं की सुरक्षा व उन्हें न्याय दिलाने के लिए शपथ लेने का आह्वान किया।

उन्होंने कहा, "महिला आरक्षण बिल महत्वपूर्ण है लेकिन आरक्षण के बिना भी महिलाओं ने सफलता हासिल की है।"

विदेश मंत्री ने कहा कि भारत वह देश है जहां महिलाएं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और दो बार सदन की स्पीकर बनी हैं।

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