पिंजड़ा तोड़ ने की सफूरा को जमानत नहीं देने की कड़ी निंदा

पिंजड़ा तोड़ ने एक बयान जारी कर शुक्रवार को कहा कि दिल्ली हिंसा में सफूरा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाए जाने के बावजूद उनकी जमानत नामंजूर कर दी गई।;

Update: 2020-06-05 15:18 GMT

नयी दिल्ली। महिला अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने वाले पिंजड़ा तोड़ संगठन ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया की शोधार्थी छात्रा सफूरा जरगर को जमानत नहीं दिए जाने की कड़ी निंदा करते हुए विरोध की आवाज का अपराधीकरण बंद करने और सफूरा को तत्काल रिहा करने की मांग की है।

पिंजड़ा तोड़ ने एक बयान जारी कर शुक्रवार को कहा कि दिल्ली हिंसा में सफूरा के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं पाए जाने के बावजूद उनकी जमानत नामंजूर कर दी गई। सफूरा 21 सप्ताह की गर्भवती है और उसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम है जिससे गर्भपात की आशंका बढ़ती है। इसके बावजूद जमानत याचिका में उसके स्वास्थ्य का ख्याल नहीं रखा गया है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा की जांच में पुलिस दोहरा मापदंड अपना रही है और एक विशेष समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। सफूरा स्पष्ट रूप से हिंदुत्ववादी शक्तियों की आक्रामकता का शिकार है और इसके लिए पहले से ही सोशल मीडिया पर पितृसत्तात्मक और इस्लामोफोबिक अभियान चलाया जा रहा था।

पिंजड़ा तोड़ ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून, राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने वालों पर अत्यधिक कठोर और निराधार आरोपों की वह निंदा करते हैं। उन्होंने निष्पक्ष जांच की मांग की ताकि दिल्ली हिंसा के असली दोषियों के पता चल सके।

दिल्ली की एक अदालत ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा के संबंध में यूएपीए कानून के तहत गिरफ्तार जामिया समन्वय समिति (जेसीसी) की सदस्य सफूरा की जमानत अर्जी गुरुवार को खारिज कर दी है।

गौरतलब है कि कि नागरिकता संशोधन कानून के समर्थकों और इसका विरोध करने वालों के बीच उत्तर पूर्वी दिल्ली में 23 से 26 फरवरी के बीच हिंसा हुईं थीं, जिसमें 50 से अधिक लोग मारे गए थे और करीब 200 लोग घायल हो गए थे। पुलिस ने दावा किया कि सफूरा उत्तर पूर्वी दिल्ली में हिंसा भड़काने के लिए ‘पूर्व नियोजित साजिश’ का कथित रूप से हिस्सा थीं। 

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