Russia Ukraine War: रूस की सेना में कितने भारतीय थे तैनात, कितनों की हुई मौत, सरकार ने दी जानकारी
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत के लगातार राजनयिक प्रयासों के चलते 119 भारतीय नागरिकों को मुक्त करा लिया गया है।;
नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में एक महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है, जिसमें बताया गया है कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान अब तक 202 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया गया है। इनमें से 26 की मौत हो चुकी है और सात नागरिक अभी भी लापता हैं। सरकार ने यह जानकारी कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला और तृणमूल कांग्रेस के सांसद संकेत गोखले के सवाल के जवाब में दी, जिन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध में मजबूर या अवैध रूप से भर्ती किए गए भारतीय नागरिकों की वापसी की स्थिति के बारे में पूछा था।
119 भारतीय नागरिकों को मुक्त कराया
विदेश राज्यमंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि भारत के लगातार राजनयिक प्रयासों के चलते 119 भारतीय नागरिकों को मुक्त करा लिया गया है। इसके अलावा, अभी भी 50 भारतीय नागरिक रूसी सेना से स्वतंत्रता पाने के लिए प्रयासरत हैं। उन्होंने भरोसा दिलाया कि भारतीय सरकार इन नागरिकों की सुरक्षा, उनकी भलाई और जल्द वापसी सुनिश्चित करने के लिए रूसी अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में है। सरकार का कहना है कि इस मुद्दे को कई राजनयिक स्तरों पर उठाया गया है, जिसमें दोनों देशों के नेताओं, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के बीच बातचीत शामिल है।
प्रयास जारी रहेंगे
सरकार ने आश्वासन दिया कि जब तक सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित तरीके से मुक्त नहीं कर लिया जाता और वापस नहीं लाया जाता, तब तक प्रयास जारी रहेंगे। मारे गए 26 भारतीय नागरिकों में से 10 के पार्थिव शरीर भारत लाए गए हैं, जबकि दो का अंतिम संस्कार भारतीय दूतावास की मदद से रूस में ही किया गया। इसके साथ ही, 18 भारतीय नागरिकों के परिवार के सदस्यों के डीएनए सैंपल भी रूसी अधिकारियों के साथ साझा किए गए हैं, जिनके बारे में कहा गया था कि वे मर चुके हैं या लापता हैं। इस कदम का उद्देश्य मृत भारतीय नागरिकों की पहचान स्थापित करने में मदद करना है।
राजनयिक प्रयासों को दी गति
सरकार की इस जानकारी से स्पष्ट होता है कि रूस-यूक्रेन युद्ध में कई भारतीय नागरिकों का भाग्य अब भी अनिश्चित है, लेकिन भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा और वापसी के लिए लगातार प्रयासरत है। युद्ध के दौरान भारतीय नागरिकों की अवैध भर्ती और मजबूर करने की घटनाओं ने देश में चिंता की लहर दौड़ा दी है। सरकार का दावा है कि युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में फंसे भारतीयों को सुरक्षित निकालने और उनके परिजनों को राहत पहुंचाने के लिए किए गए राजनयिक प्रयासों को गति दी जा रही है।
यह मामला भारतीय विदेश नीति और रक्षा रणनीति की परीक्षा भी है, जिसमें सरकार को अपने नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि रखने का दृष्टिकोण स्पष्ट हो गया है। देशभर में इस घटना को लेकर चिंता जताई जा रही है, और सरकार के प्रयासों की निगरानी की जा रही है कि कितने भारतीय नागरिकों को युद्ध क्षेत्र से सुरक्षित निकाला जा सकता है।
बड़ी चुनौती
रूस-यूक्रेन संघर्ष के बीच भारतीय नागरिकों का फंसे रहना और उनके सुरक्षित वापसी की कवायद सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत ने इस संकट के बीच अपने नागरिकों के हितों की रक्षा के लिए कई स्तरों पर प्रयास तेज किए हैं। रूस के साथ राजनयिक स्तर पर वार्ता जारी है, और भारतीय दूतावासों के माध्यम से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है। सरकार का कहना है कि जब तक सभी भारतीय नागरिकों को सुरक्षित वापस नहीं लाया जाता, तब तक प्रयास जारी रहेंगे।
हर संभव कोशिश
इस घटना ने भारत में विदेश नीति, सुरक्षा और नागरिकों की रक्षा के मुद्दों को फिर से उभारा है। सरकार के अनुसार, युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में फंसे भारतीय नागरिकों की रिहाई के लिए हर संभव कोशिश की जा रही है और सभी संबंधित पक्षों से संपर्क बनाए रखा गया है। इस संकट के समाधान के लिए राजनयिक प्रयासों के साथ-साथ, भारतीय नागरिकों की सुरक्षा सर्वोपरि है।
अंत में, केंद्र सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि भारतीय नागरिकों की जान और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। संघर्ष के दौरान फंसे भारतीय नागरिकों का पता लगाने और उन्हें सुरक्षित वापस लाने की प्रक्रिया अभी जारी है, और सरकार इस दिशा में हर स्तर पर प्रयासरत है। यह घटना देश की विदेश नीति, नागरिक सुरक्षा और युद्ध की भयावहता को समझने का एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन गई है।