बॉलीवुड नेपोटिज्म पर चलता है : रंजीत बरोट

भारत के जाने-माने ड्रमर और संगीत निर्देशक रंजीत बरोट का कहना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी संस्था है जिसमें योग्यता को प्राथमिकता नहीं दी जाती है, बल्कि यह नेपोटिज्म पर चलता है।;

Update: 2020-07-05 14:56 GMT

नई दिल्ली | भारत के जाने-माने ड्रमर और संगीत निर्देशक रंजीत बरोट का कहना है कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री एक ऐसी संस्था है जिसमें योग्यता को प्राथमिकता नहीं दी जाती है, बल्कि यह नेपोटिज्म पर चलता है।

दिग्गज गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन से तारीफ बटोर चुकें रंजीत आगे कहते हैं, "भाई-भतीजावाद होने के चलते यहां काम करने वाले लोगों में खुशामद करने की एक प्रवृत्ति विकसित होती है, जिसमें मैं नही ढल सकता। हालांकि अगर कोई सही निर्देशक व काम मेरे रास्ते आता है, तो मैं खुशी-खुशी स्वीकार करूंगा।"

रंजीत अब तक कई पुरस्कार हासिल कर चुके हैं - बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर के लिए जी सिने अवॉर्ड (शैतान, 2012), बेस्ट बैकग्राउंड स्कोर के लिए फिल्मफेयर अवॉर्ड (शैतान और अक्स, 2012, 2002) बेस्ट फ्यूजन एल्बम के लिए गीमा अवॉर्ड (बड़ा बूम, 2011) और बेस्ट बैकग्रांउड म्यूजिक के लिए स्क्रीन अवॉर्ड (शैतान, 2012) और इसी के साथ वह 50 से अधिक फिल्मों में संगीतकार, गीतकार, साउंड डिजाइनर और गायक के तौर पर भी काम कर चुके हैं। इतना ही नहीं उन्होंने जॉन मैकलॉघलिन,जोनास हेलबोर्ग, एयडेन एसेन और टिम गारलैंड जैसे अंतर्राष्ट्रीय कलाकारों संग भी काम किया है। वह कई सालों तक एआर रहमान के सभी लाइव कार्यक्रमों के संगीत निर्देशक भी रह चुके हैं।

'सुपरहोनिक' नाम का उनका अपना एक बैंड भी है, जिसमें उनकी बेटी मल्लिका भी शामिल हैं। जब उनसे अपनी बेटी के साथ काम करने के अनुभव के बारे में पूछा जाता है तो वह मुस्कुराते हुए कहते हैं, "सच कहूं तो उसके साथ काम करना काफी आसान है क्योंकि वह इन चीजों के बारे में काफी ज्यादा समझती है। उसके लिए लिखना या संगीत देना मुझे काफी दिलचस्प लगता है। वह एक बेहतरीन संगीतकार बनकर उभरी है। एआर रहमान उसकी गायकी से इतने बेहद प्रभावित हैं कि उन्होंने दो कॉन्सर्ट में उसे अकेले वादक के रूप में शामिल किया है।"

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