यूपी चुनाव में जीत को लेकर आश्वास्त भाजपा, कई चुनौतियां हैं बरकरार

उत्तर प्रदेश चुनाव मुहाने पर खड़ा है। भाजपा चुनाव को लेकर काफी सक्रिय है। सियासी समीक्षक भी मानते हैं कि यह पार्टी हर समय चुनावी मोड पर रहती है;

Update: 2021-12-11 23:50 GMT

लखनऊ। उत्तर प्रदेश चुनाव मुहाने पर खड़ा है। भाजपा चुनाव को लेकर काफी सक्रिय है। सियासी समीक्षक भी मानते हैं कि यह पार्टी हर समय चुनावी मोड पर रहती है। भाजपा के तमाम बड़े नेता एक के बाद एक प्रदेश के दौरे कर रहे हैं। यहां तक की प्रधानमंत्री मोदी भी एक के बाद एक तमाम परियोजनाओं के लोकार्पण या उद्घाटन के मौके पर प्रदेश के तमाम इलाकों में नजर आ रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में भाजपा के तमाम दिग्गज यहां तक की मुख्यमंत्री योगी भी 300 से ज्यादा सीटें हासिल करने का दावा कर चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री विनोद सोनकर कहते हैं कि यूपी की जनता ने सब तरह का गठबंधन देख लिया है। बुआ-बबुआ को देखा, दो बबुओं की जोड़ी भी देख ली है। 20 वर्षों से यहां पर अराजकता और भ्रष्टाचार का कैसा माहौल रहा, उसे भी देखा व समझा है। भाजपा शासन में हूटर और शूटर पूरी तरह से समाप्त हो गया है। पूरा प्रदेश विकास युक्त हो गया है।

अगर पश्चिमी यूपी की बात करें तो भाजपा का दावा है कि अब वहां किसानों का मुद्दा समाप्त हो चुका है। रालोद और सपा के गठबंधन पर भाजपा नेताओं का मानना है कि रालोद के वर्तमान मुखिया उनके सपूत हैं, जिन्होंने सपा को पानी पी-पीकर गालियां दी हैं। ऐसे में इस बेमेल मेल को जनता कैसे स्वीकार करेगी। यह तो चुनावी नतीजे ही बताएंगे। भाजपा के कई रणनीतिकार कहते हैं कि चाहे 2014 का लोकसभा चुनाव हो अथवा 2017 का विधानसभा चुनाव या 2019 का फिर लोकसभा चुनाव, हर बार पश्चिम का जाट समाज भाजपा के साथ एकतरफा रहा। विपक्षी दलों की तुष्टीकरण नीति से जाट समाज परेशान रहता था, भाजपा ने उन्हें इससे मुक्ति दिलाई है।

गठबंधन के सवाल पर भाजपा के रणनीतिकार कहते हैं कि जिनका चुनाव निशान तक सुरक्षित नहीं है, वह भाजपा से क्या लड़ेंगे। महज प्वाइंट सात प्रतिशत वोट ओमप्रकाश राजभर को मिला था। उनके जितने विधायक थे, वे अनुसूचित जाति के थे। ओबीसी के कितने विधायक हैं। कई बड़े-बडे गठबंधन जनता ने देखा है। चाहे सपा-बसपा का हो अथवा सपा-कांग्रेस का, इन सभी गठबंधनों को नकारकर जनता भाजपा के साथ खड़ी रही। जातिवादी राजनीति करने वाले और सत्ता के लिए अवसरवादी लोगों को जनता अब बिल्कुल स्वीकार नहीं करेगी।

चुनाव के समय धुव्रीकरण की भाषा शुरू हो गयी है, लाल टोपी और अब्बाजान जैसे शब्दों के बाबत पूछने पर भाजपा नेता कहते हैं कि सपा उत्तर प्रदेश में विकास और कानून व्यवस्था के नाम पर भाजपा से चुनाव नहीं लड़ सकती है। इसलिए मुद्दे भटकाने के लिए जिन्ना को लाया जा रहा है। प्रदेश में 35 मेडिकल कालेज बन चुके हैं। सपा के शासन में मोबाइल चाजिर्ंग के लिए लोगों को पान गुमटी पर 10 रुपए देकर खड़ा होना पड़ता था। आज 14 से लेकर 20 घंटे तक राज्य सरकार बिजली दे रहा है। सपा और बसपा जानती है कि अगर विकास पर चुनाव लड़ा गया तो इनका खाता खुलने वाला नहीं है।

मायावती सुरक्षित सीटों पर ध्यान दे रही हैं, भाजपा नेता सोनकर का मानना है कि ये सीटें उनके खातें में आएंगी, इस मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बसपा मुखिया में अनुसूचित जाति के लोगों ने बहुत भरोसा किया। चार बार मुख्यमंत्री बनाया है। बहन जी एक काम बताएं जो उन्होंने अनुसूचित जाति के लिए किया हो।

बसपा का आरोप है कि उसकी सारी योजनाओं को भाजपा अपना नाम दे रही है, इस पर सोनकर ने कहा कि यह तो समाज तय करेगा। बसपा ही नहीं सपा भी यही कह रही है। लेकिन, जनता सब जानती है। हमने जिसका शिलान्यास किया है, उसका उद्घाटन भी हम ही कर रहे हैं। हमारी योजनाएं न तो लटकी हैं, न भटकी हैं और न ही अटकी हैं।

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