जैव विविधता विधेयक संसद की संयुक्त समिति को भेजा गया

राजनीतिक दलों और पर्यावरणविदों के विरोध के कुछ दिनों बाद सरकार ने सोमवार को जैविक विविधता अधिनियम, 2002 विधेयक को एक संयुक्त समिति को भेजने पर सहमति जताई;

Update: 2021-12-20 23:57 GMT

नई दिल्ली। राजनीतिक दलों और पर्यावरणविदों के विरोध के कुछ दिनों बाद सरकार ने सोमवार को जैविक विविधता अधिनियम, 2002 विधेयक को एक संयुक्त समिति को भेजने पर सहमति जताई, जिसमें लोकसभा के 21 सदस्य और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल हैं। पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रस्ताव किया कि विधेयक को दोनों सदनों की संयुक्त समिति को भेजा जाए।

इससे पहले यादव ने 16 दिसंबर को विपक्षी सदस्यों के हंगामे के बीच लोकसभा में विधेयक पेश किया था। इस पर कोई बहस नहीं हुई और सदन को जल्द ही स्थगित कर दिया गया था। इसके बाद सरकार ने विधेयक को प्रवर समिति के पास भेज दिया।

इसके एक दिन बाद कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस बात को लेकर विरोध प्रकट किया था कि सरकार ने विधेयक को प्रवर समिति को भेजा, न कि संसदीय स्थायी समिति को।

संयुक्त संसदीय समिति के लोकसभा सदस्य हैं डॉ. संजय जायसवाल, दीया कुमारी, डॉ. हीना विजयकुमार गावित, अपराजिता सारंगी, राजू बिस्ता, पल्लब लोचन दास, प्रताप सिम्हा, जुगल किशोर शर्मा, बृजेंद्र सिंह, अजय टम्टा, जगदंबिका पाल, रितेश पांडे (सभी भाजपा के), संतोष पांडे (सपा), गौरव गोगोई, एस. जोथिमणि (दोनों कांग्रेस के), ए.राजा (द्रमुक), डॉ. काकोली घोष दस्तीदार (तृणमूल कांग्रेस), श्रीधर कोटागिरि (वाईएसआर कांग्रेस), प्रतापराव जाधव (शिवसेना), सुनील कुमार पिंटू (जद-यू) और अच्युतानंद सामंत (बीजद)।

इस समिति से जुड़े राज्यसभा के 10 सदस्यों में शिव प्रताप शुक्ला, डॉ. अनिल अग्रवाल, नीरज शेखर, रमीलाबेन बेचारभाई बारा (सभी भाजपा), जयराम रमेश (कांग्रेस), जवाहर सरकार (तृणमूल), तिरुचि शिवा (डीएमके), डॉ. अमर पटनायक (बीजद), प्रोफेसर राम गोपाल यादव (सपा) और राम नाथ ठाकुर (जद-यू) शामिल हैं।

संयुक्त समिति की बैठक गठित करने के लिए कोरम इसके सदस्यों की कुल संख्या का एक तिहाई होगा।

उम्मीद है कि समिति अगले सत्र के पहले सप्ताह के अंतिम दिन तक अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर देगी।

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