मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए बाइक रैली

हार्ले डेविडसन, डुकाटी, केटीएम, कावासाकी, ट्राइम्प और रॉयल इनफील्ड जैसी मोटर बाइकों पर सवार बाइकरों ने आज सुबह राजधानी की विभिन्न सड़कों से गुजरते हुए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कायम की;

Update: 2017-10-09 13:17 GMT

नई दिल्ली। हार्ले डेविडसन, डुकाटी, केटीएम, कावासाकी, ट्राइम्प और रॉयल इनफील्ड जैसी मोटर बाइकों पर सवार बाइकरों ने आज सुबह राजधानी की विभिन्न सड़कों से गुजरते हुए मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता कायम की। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के सिलसिले में इस मोटर बाइक रैली का आयोजन सीआईएमबीएस के सामाजिक जागरूकता अभियान इंडिया फॉर मेंटल हेल्थ  तथा राइडर्स प्लैनेट की ओर से किया गया। इस रैली के जरिए अगले महीने भारत में पहली बार आयोजित हो रही डब्ल्यूएफएमएच विश्व मानसिक स्वास्थ्य कांग्रेस के आयोजन का आगाज भी किया गया। 

रैली में सुपर बाइकरों, मानसिक स्वास्थ्य विषेशज्ञों, सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि ने हिस्सा लिया। इस रैली के जरिए लोगों को शांत  मन से वाहन चलाने का संदेश भी दिया गया। विश्व मानसिक दिवस का आयोजन हर साल 10 अक्टूबर को होता है। इस साल के विश्व मानसिक दिवस का संदेश है -कार्यस्थलों पर मानसिक स्वास्थ्य। इस मौके पर डब्ल्यूएफएमएच विश्व मानसिक स्वास्थ्य कांग्रेस के आयोजन अध्यक्ष डॉ. सुनील मित्तल ने कहा, आज के समय में रोड रेज की बढ़ रही घटनाओं का संबंध मानसिक तनाव से भी है। हम सड़कों पर किस तरह से वाहन चलाते हैं और किस तरह का व्यवहार करते हैं यह हमारी मानसिक स्थिति पर भी निर्भर है। हमारा फ्रस्ट्रेशन एवं मानसिक तनाव अक्सर रोड रेज के रूप में सामने आता है।

मोटर बाइक चलाने का शौक रखने वाले सीआईएमबीएस के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर कलानी ने कहा, हम सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य एवं सड़कों पर सुरक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एकत्रित हुए हैं क्योंकि स्वस्थ एवं सुरक्षित जीवन के लिए ये दोनों जरूरी हैं। दिल्ली की मनोचिकित्सक डॉ. शोभना मित्तल ने कहा कि पिछले छह वर्षों में दिल्लीवासियों को सड़क जाम में फंसकर दोगुना समय बर्बाद करने को मजबूर होना पड़ता है जो रोड रेज तथा मानसिक तनाव का कारण है। 

इस मौके पर वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. नीलम कुमार बोहरा ने कहा कि आज जीवन के हर क्षेत्रों में प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है जिसके कारण कार्यस्थलों पर मानसिक तनाव बढ़ रहा है। इस प्रतिस्पर्धा के कारण लोगों में डिप्रेशन भी बढ़ रहा है। एक अनुमान के अनुसार आज पांच में से एक व्यक्ति अपने जीवन में किसी न किसी मुकाम पर डिप्रेशन से ग्रस्त होते हैं। ऐसे में जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य को लेकर समाज में जागरूकता कायम की जाए।


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