अपनी संपत्ति की बोली नहीं लगा पाएंगे बड़े कर्जदार 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी;

Update: 2017-11-24 01:27 GMT

नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को दिवाला और दिवालियापन संहिता 2016 में बदलाव लाने वाले अध्यादेश को मंजूरी दे दी। इससे कर्ज नहीं चुकाने वाली कंपनियों व व्यक्तियों को तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए बोली लगाने से रोका जा सकेगा। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने गुरुवार को इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिए, जिसे मंत्रिमंडल द्वारा उनके पास बुधवार को भेजा गया था। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बताया कि इस अध्यादेश से बड़े कर्जदारों को अपनी ही संपत्ति के लिए बोली लगाने से रोकने में मदद मिलेगी।

कंपनी मामलों के मंत्रालय ने बताया कि इस अध्यादेश का उद्देश्य अनैतिक तथा अवांछित लोगों द्वारा इस कानून के दुरुपयोग को रोकना है। इन संशोधनों के बाद अब किसी कंपनी की दिवालियापन प्रक्रिया से उन लागों को बाहर रखा जा सकेगा जिन्होंने जानबूझकर बैंकों का ऋण नहीं चुकाया है या गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों से संबद्ध हैं अथवा कानून का नियमित तौर पर उल्लंघन करते रहते हैं और जिनके कारण सफल दिवालियापन प्रक्रिया में बाधा आ सकती है।

नए नियम लागू होने के बाद ऋणदाताओं की समिति के लिए यह आवश्यक होगा कि दिवालया कंपनियों के समधान योजना को मंजूरी देने से पहले योजना की कार्यशीलता और उसका सफलता पूर्वक लागू होना सुनिश्चित करें। 

क्यों पड़ी संसोधन की जरूरत

सरकार ने कहा कि संशोधनों का उद्देश्य उन लोगों को इसके दायरे से बाहर रखना है जिन्होंने जानबूझकर डिफॉल्ट किया है अथवा जो फंसे कर्जो (एनपीए) से संबंधित हैं और जिन्हें नियमों का अनुपालन न करने की आदत है और इस तरह जिन्हें किसी कंपनी के दिवाला संबंधी विवादों के सफल समाधान में बाधक माना जाता है। इस तरह के विवाद समाधान अथवा परिसमापन प्रक्रिया में भाग लेने से इस तरह के लोगों को प्रतिबंधित करने के अलावा उपर्युक्त संशोधन में इस तरह की रोकथाम के लिए यह भी निर्दिष्ट किया गया है।

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