छग में जल्द शुरू होगा बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरण: बघेल
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां कहा कि बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरणों को जल्द ही फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष अब स्थानीय विधायक ही होगा;
जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यहां कहा कि बस्तर और सरगुजा विकास प्राधिकरणों को जल्द ही फिर से शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष अब स्थानीय विधायक ही होगा।
उन्होंने कहा, "आदिवासी विकास मंत्रणा समिति का गठन कर उसे शसक्त बनाया जाएगा, जिसकी प्रत्येक तीन माह में समीक्षा बैठक होगी। प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था को मजबूत किया जाएगा और सभी फैसले पंचायत और ग्राम सभाओं के माध्यम से लिए जाएंगे।"
प्रदेश के मुख्यमंत्री एक जनवरी को जगदलपुर प्रवास के दौरान पत्रकार वार्ता की। उन्होंने इस दौरान पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने की बात कही।
बघेल ने कहा, "बस्तर के पत्रकारों के साथ अन्याय, अत्याचार चर्चाओं में रहा है। देश में छत्तीसगढ़ पहला राज्य है, जहां पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने का निर्णय लेते हुए कमेटी गठन का निर्देश दिया गया है। कमेटी में राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के साथ सेवानिवृत्त न्यायाधीश और स्थानीय पत्रकारों को भी शामिल किया जाएगा।"
उन्होंने कहा, "तेंदूपत्ता खरीदी का लक्ष्य ढाई हजार मानक से बढ़ाकर चार हजार मानक कर दिया है। प्रदेश में आदिवासियों के खिलाफ जो बदले की कार्रवाई से प्रकरण दर्ज किए गए हैं, उनकी समीक्षा कर जो निर्दोष होंगे, उन्हें रिहा किया जाएगा। बहुत से प्रकरणों का शासन स्तर पर ही निर्णय ले लिया जाएगा।"
बघेल ने कहा, "नक्सलवाद के मुद्दे पर पीड़ित पक्ष, स्थानीय पत्रकार, व्यवसायियों, मैदानी स्तर के जवानों और बुद्धिजीवियों, जिन्होंने इस समस्या को करीब से देखा और परखा है, उनसे विचार-विमर्श कर ही भविष्य की रणनीतियां तय की जाएंगी।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "प्रदेश के 16 लाख किसानों की ऋण माफी के बाद राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्जदार किसानों की समीक्षा की जाएगी, उसके बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा कि कितने किसानों के कितने ऋण माफ किए जाएं। प्रत्येक कर्जदार किसानों के खाते में पैसा जरूर आएगा। मोदी सरकार के 15 लाख रुपये जैसी घोषणा नहीं होगी।"
उन्होंने प्रदेश में शराबबंदी को लेकर कहा, "इसके लिए एक उच्च अधिकार समिति का गठन किया जाएगा, जिसके माध्यम से आम लोगों को भागीदार बनाकर सभी पहलुओं के अध्ययन के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा। शराब एक सामाजिक बुराई है। इस नीति को लागू करने के बाद उसकी असफलता की गुंजाइश कम हो, इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा।"
झीरम मामले में एसआईटी गठन को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, "चूंकि यह मामला पहले ही एनआईए के पास है, इसलिए हमने एनआईए से वापस फाइल मांगी है, ताकि एसआईटी की ओर से जांच प्रारंभ की जा सके।"