ऋण देने में बैंक उदारता नहीं दिखाते: नीतीश

नीतीश कुमार ने वित्त वर्ष 2016-17 में साख जमा अनुपात में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए आज कहा कि राज्यवासी बैंक खातों में रुपये तो जमा कराते हैं वहीं ऋण देने में बैंक उदारता नहीं दिखाते;

Update: 2017-05-17 17:49 GMT

पटना।  बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वित्त वर्ष 2016-17 में साख जमा अनुपात में गिरावट पर चिंता जाहिर करते हुए आज कहा कि राज्यवासी बैंक खातों में रुपये तो जमा कराते हैं वहीं ऋण देने में बैंक उदारता नहीं दिखाते।

 कुमार ने बैंकरों की राज्यस्तरीय समिति की 60वीं बैठक को संबोधित करते हुये कहा कि राज्य में इस वर्ष साख जमा अनुपात में गिरावट आयी है। वर्ष 2016-17 में साख जमा अनुपात 43.94 प्रतिशत रहा है।

उन्होंने राज्य में विकास की संभावनाओं की चर्चा करते हुए कहा कि प्रदेश के लोग बैंक खाते में पैसा जमा कराते हैं लेकिन यदि योजनाओं के लिये ऋण उपलब्ध नहीं होगा तो इससे विकास अवरुद्ध हो जाएगा।

मुख्मयंत्री ने कहा कि सर्वांगीण विकास के लिये पूरे देश का विकास जरूरी है। आज देश में विकास के कुछ द्वीप बन गये हैं, यही कारण है कि विकास दर में उतार-चढ़ाव होता रहता है। देश की विकास दर केवल कुछ राज्यों के विकास आंकड़ों पर निर्भर रह गया है। यदि सभी भागों में एकसमान रूप से विकास होगा तो देश की विकास दर हमेशा बढ़ती रहेगी।

 कुमार ने बैठक में उपस्थित बैंक अधिकारियों से बैकिंग कार्यप्रणाली में सुधार लाने की अपील करते हुए कहा, “यदि आप अपने से नीचे स्तर की कार्यप्रणाली को जब तक नहीं सुधारेंगे, तब तक विकास संभव नहीं होगा।

” उन्होंने रियल टाइम ग्रॉस सैटलमेंट (आरटीजीएस) के माध्यम से राशि के ट्रांसफर का उदाहरण देते हुये कहा कि इस प्रणाली के माध्यम से ट्रांसफर करने के लिये दी गयी राशि बैंकों में महीनों तक पड़ी रह जाती है। यदि समय पर लोगों का रुपये नहीं मिले तो यह पूरी प्रणाली बेकार साबित हो जायेगी।उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया का ससमय अनुपालन होना चाहिये।
 

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