कूड़ा डालने पर रोक बरकरार
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मंगलवार को नोएडा के सेक्टर-138ए में डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने पर लगाई रोक को हटाने से इंकार कर दिया है;
नोएडा। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने मंगलवार को नोएडा के सेक्टर-138ए में डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने पर लगाई रोक को हटाने से इंकार कर दिया है। साथ ही नोएडा प्राधिकरण को अवैध डंप यार्ड को स्थानातरित करने की योजना बनाने के निर्देश दिए। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक बेंच ने नोएडा प्राधिकरण को यह स्पष्ट कर दिया कि प्राधिकरण ने अपने हलफनामे में स्वीकार किए जाने के बाद 10 अक्टूबर 2017 के आदेश के अनुसार कचरे का कोई डंपिंग नहीं किया जा सकता है।
मास्टर प्लान में कचरे के डंपिंग के लिए सीमांकित नहीं है। उसने नोएडा प्राधिकरण को सेक्टर 138 ए में पड़े कचरे को स्थानांतरित करने के लिए निर्धारित साइट तैयार करने के लिए कहा। एनजीटी के अध्यक्ष ने 6 दिसंबर से 23 अक्टूबर तक सेक्टर 137 निवासी गौरव चौधरी और अन्य लोगों द्वारा दायर मामले की सुनवाई अग्रिम करने का फैसला किया। बेंच ने नोएडा प्राधिकरण के वकील रविंद्र कुमार की बार-बार की गई याचना को ठुकरा दिया, कि, कुछ महीने तक जब तक कीसेक्टर तक सेक्टर 123 में एक ठोस अपशिष्ट उपचार संयंत्र चालू नहीं होता तब तक कचरे को सेक्टर-138ए स्थित डंपिंग ग्राउंड में कूड़ा डालने की अनुमति दी जाए। प्राधाकिरण के वकील ने यह भी कहा कि, इसके लिए 25 एकड़ भूमि निर्धारित की गई थी।
एनजीटी ने 10 अक्टूबर को एक अंतरिम आदेश जारी किया था जिसके तहत प्राधिकरण को सेक्टर 138ए में डंपिंग अपशिष्ट को तुरंत रोक दिया गया था। याचिकाकर्ता ने प्राधिकरण पर पर्यावरणीय नियम 2016 के उल्लंघन में एक अपशिष्ट साइट पर ठोस कचरे को डंप करने का आरोप लगाया।
उन्होंने आरोप लगाया कि अनाधिकृत डंप यार्ड स्वास्थ्य के लिए खतरा है क्योंकि यह हवा और भूजल प्रदूषित करता है और विभिन्न प्रकार के बीमारियों को फैला सकता है। याचिकाकर्ता के वकील सबा इकबाल सिद्दीकी ने कहा कि, नोएडा प्राधिकरण ने पर्यावरणीय नियम 2016 का उल्लंघन क्यों कर रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि, ठोस अपशिष्ट के उपचार और प्रबंधन के उद्देश्य के लिए एक गैर-अधिसूचित भू-स्थल साइट का उपयोग किया है।
नोएडा के निर्माण के बाद से वे पिछले 42 वर्षों से एक लैंडफिल साइट तैयार करने में असफल रहे हैं। प्राधिकरण को नोएडा निवासियों के स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील होना चाहिए और इस आवासीय क्षेत्र के मध्य में बनाए गए इस गैरकानूनी डंप यार्ड को इसके लिए निर्धारित साइट पर स्थानांतरित करना चाहिए।
दो बिल्डरों को भरना पड़ेगा जुर्माना
उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एमएसआर कंस्ट्रक्शन और मदरसन इंडस्ट्रीज बिल्डरों को जुर्माना किया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के आदेशों के बाद शहर में बिल्डरों पर शिकंजा लगातार कसा जा रहा है ताकि सांस लेने के लिए शुद्ध हवा मिल सके। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर में अभी तक करीब 12 बिल्डरों को जुर्माना लगा चुका है।
दरअसल, एनजीटी के आदेश थे कि दिवाली के चलते शहर को प्रदूषण मुक्त रखना है। शहर में कंस्ट्रक्शन होने के चलते धूल के चलते शहर की हवा में प्रदूषण फैलता जा रहा है। जिसके चलते सभी बिल्डरों के यहां से हवा के सैंपल लिए जा रहे है, ताकि पता चल सके कि हवा में मिट्टी के धूल कण की मात्रा कितनी है। जानकारी के मुताबिक कई सेक्टरों के लोगों ने एनजीटी में शिकायत दी थी कि यहां बिल्डरों द्वारा कंस्ट्रक्शन होने के चलते शहर की हवा में सांस लेना मुश्किल हो रहा है और प्रशासन इस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। जिस पर एनजीटी ने आदेश दिए थे कि शहर के सभी बिल्डरों की साइट से हवा में मिट्टी के धूल कण की मात्रा कितनी है। इसकी जानकारी एनजीटी ने मांगी है। जो बिल्डर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मानकों के आधार पर ठीक नहीं बैठ रहे है।
ऐसे सभी बिल्डरों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से पांच हजार रुपए जुर्माना लगाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रिय अधिकारी बीबी अवस्थी ने बताया कि जो बिल्डर मानकों के आधार पर ठीक नहीं बैठ रहे है। ऐसे बिल्डरों पर पांच हजार रूपए जुर्माना लगाया जा रहा है। उन सभी के सैंपल जांच के लिए ले लिए गए है। इसके बाद भी अगर नियमों का पालन नहीं किया जाता तो फिर साइट को सील कर दिया जाएगा।