सिमगा विकासखण्ड में स्वास्थ्य केन्द्रों का बुरा हाल
बी.एम.ओ. सिमगा को पता नहीं है। शिकारी केसली उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी मर्जी से केन्द्र को खोलती एवं बंद करती है;
सिमगा। बी.एम.ओ. सिमगा को पता नहीं है। शिकारी केसली उप स्वास्थ्य केन्द्र की स्वास्थ्य कार्यकर्ता अपनी मर्जी से केन्द्र को खोलती एवं बंद करती है। सरपंच, उपसरपंच सहित ग्रामीणों ने आरोप लगाया है कि महिला कार्यकर्ता का पति केन्द्र में आकर अपनी पत्नी की जगह ड्यूटी करता है।
स्वास्थ्य विभाग मे भर्राशाही के चलते गांव मे स्वास्थ्य सुविधाओ का लाभ ग्रामीणो को नहीं मिल पा रहा है।
सिमगा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत शिकारी केसली मे स्थित उप स्वास्थ्य केन्द्र मे पदस्थ महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता आसलेखा तिवारी की मनमर्जी से ग्रामीण स्वास्थ्य केन्द्र का लाभ नहीं ले पा रहे है।
जब प्रतिनिधि मंगलवार को दोपहर 2 बजे ग्राम मे पहुंचा तो उपस्वास्थ्य केन्द्र मे ताला लगा था। उपस्वास्थ्य केन्द्र के बगल मे स्थित ग्राम पंचायत कार्यालय मे पहुंचकर सरपंच रामलाल लक्ष्मे एवं ग्रामीणों ने बताया कि उपस्वास्थ्य केन्द्र की महिला कार्यकर्ता कब आती है, और कब जाती है।
हमको पता नही चलता। उन्होने ने आगे बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता आसलेखा तिवारी भाटापारा से आना जाना करती है। अपनी ड्यूटी के समय पर भाटापारा मे मेडिकल स्टोर्स मे बैठती है। जिससे ग्रामीणो को समय मे स्वास्थ्य सुविधा नही मिल पा रही है।
स्वास्थ्य खराब होने पर सुहेला या भाटापारा जाना पड़ता है। कई बार शिकायत करने के बावजूद कोई कार्यवाही नही हो रहा है। सरपंच ने आगे बताया कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता की जगह उसका पति उपस्वास्थ्य केन्द्र चलाता है। इस संबंध मे सुहेला मेडिकल ऑफिसर पारस नाथ पटेल का कहना है कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता अन्य ग्रामो मे गई होगीं।
मुझे जानकारी नही है। ना ही मुझे शिकायत मिला है। वहीं सुपरवाईजर संतोष घृतलहरे ने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ता शिकारी केसली स्वास्थ्य केन्द्र मे उपस्थित नही रहती है। उन्होने ग्रामीणो की शिकायत को सही ठहराया है।
उन्होंने ने बताया कि उच्च अधिकारियो को जानकारी देने के बावजदू कोई कार्यवाही नही हुआ है। इस संबंध मे बी.एम.ओ. सिमगा डॉ. पी.एल.चंदन ने कहा कि मुझे आज तक कोई शिकायत नही मिला है। उल्लेखनीय है कि सिमगा विकासखण्ड मे स्वास्थ्य सुविधा की स्थिति दयनीय है। ब्लॉक मुख्यालय से लेकर गांव स्तर स्वास्थ्य विभाग भ्रष्टाचार एवं मनमर्जी मे लिप्त है।
सिमगा बी.एम.ओ. एवं बी.पी.एम. पर लाखो रूपये का राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की राशि मे हेराफेरी करने की बात उजागर हुई है। समय पर चिकित्सक उपलब्ध नही रहते है। वहीं आम जनता को दवा उपलब्ध नही हो पा रहा है।
गांव गांव मे उपस्वास्थ्य केन्द्र खुल तो गए है। किन्तु स्वास्थ्य कार्यकर्ता मुख्यालय मे नही रहते है। उपस्वास्थ्य केन्द्रो की निगरानी करने वाले सुपरवाईजर जानते बुझते भी चुप रहते है। ग्रामीणजन बदहाल उपस्वास्थ्य केन्द्र को देखते हूए झोला छाप डॉक्टरो की शरण मे जाकर अपनी जान जोखिम मे डाल रहे है।