फिलहाल अमरनाथ यात्रा पर असमंजस बरकरार, रद्द होने की उम्मीद है ज्यादा
कोरोना संकट के बाद चीन सीमा पर उपजे तनाव के चलते वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर संकट और गहरा गया है।;
आज शुरू होनी थी वार्षिक यात्रा, न पंजीकरण शुरू हुआ और न ही कोई तैयारी
जम्मू । कोरोना संकट के बाद चीन सीमा पर उपजे तनाव के चलते वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर संकट और गहरा गया है। फिलहाल इसके शुरू होने पर असमंजस बरकरार है और इसके रद्द होने की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है। वैसे इस साल इसे आज यानि 23 जून से शुरू किया जाना था।
अमरनाथ यात्रा के लिए एडवांस पंजीकरण एक अप्रैल से शुरू होना था, लेकिन कोरोना से उपजे हालात, लाकडाउन के कारण एडवांस पंजीकरण को टाल दिया गया। कोरोना के हालात देखकर बोर्ड को फैसला करना था, लेकिन अभी तक बोर्ड की बैठक नहीं हुई है। बोर्ड को ही यात्रा के आयोजन को लेकर फैसला करना है। पर मिलने वाली खबरें कहती हैं कि केंद्रीय गृहमंत्रालय अब लद्दाख संकट के चलते इसे निरस्त करने पर जोर दे रहा है।
हालांकि एक संभावना यह व्यक्त की जा रही है कि इसे 21 जुलाई को 14 दिनों के लिए शुरू किया जा सकता है और संपन्न यात्री ही इसमें शिरकत कर पाएंगें क्योंकि इसके लिए हेलिकाप्टर से दर्शन करने की सुविधा प्रदान की जा सकती है। लेकिन एक अधिकारी के मुताबिक, अनंतनाग जिले में बढ़ते आतंकी हमलों, कोरोना के फैलाव तथा लद्दाख के फ्रंटियर पर सुरक्षाबलों की ज्यादा जरूरत के चलते अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर सुरक्षाकर्मी नहीं मिल पा रहे हैं।
सूत्र बताते हैं कि जम्मू कश्मीर प्रशासन यात्रा के आयोजन और अवधि को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय से भी सलाह मशविरा करेगा। बाबा बफार्नी लंगर संगठन यात्रा का आयोजन इस साल न करने का सुझाव दे चुका है। यात्रा के लिए इस बार प्रथम पूजा जम्मू में ही की गई थी। यह भी मांग की जा रही है कि पवित्र शिवलिग के दर्शन चैनलों के जरिए करवाए जाएं।
इतना जरूर था कि यह पहली बार है जब कोरोना से उपजे हालात के कारण वार्षिक अमरनाथ यात्रा की तैयारियां शुरू नहीं हो पाई और यात्रा के दोनों मार्ग चंदनबाड़ी और बालटाल बर्फ से ढके हुए हैं। इस बार इसकी प्रथम पूजा भी चंदनबाड़ी में न होकर जम्मू में संपन्न की गई है। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि यात्रा को 21 जुलाई से शुरू किया जा सकता है और रक्षा बंधन वाले दिन यानी 3 अगस्त को यात्रा को संपन्न किया जाएगा। पर इसकी आधिकारिक पुष्टि होना बाकी है।
और अगर यह 21 जुलाई को शुरू हुई तो 3 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा को समाप्त होगी। शिरकत करने वालों के लिए शर्तों का ढेर होगा। 14 साल से कम और 55 साल से अधिक आयु वालों को अनुमति नहीं होगी जबकि स्वास्थ्य प्रमाण पत्र के अतिरिक्त कोरोना टेस्ट करवा कर उसका प्रमाणपत्र भी संलग्न करना होगा। श्रद्धालु बालटाल मार्ग से सिर्फ हेलिकाप्टर से ही यात्रा करेंगें लेकिन कितनी संख्या में करेंगें फिलहाल इसके प्रति जानकारी नहीं है।
--सुरेश एस डुग्गर--