तुझे सब है पता, तो क्या मैं इतना बुरा हूं मेरी मां

 जिस शहर की महिला जिलाधिकारी एक मां हो, जिस शहर की एडीएम सिटी एक मां हो और जिस शहर की महिला महापौर एक मां हो;

Update: 2017-12-09 13:51 GMT

गाजियाबाद। जिस शहर की महिला जिलाधिकारी एक मां हो, जिस शहर की एडीएम सिटी एक मां हो और जिस शहर की महिला महापौर एक मां हो। उस शहर में माएं अपने बच्चों से हमेशा के लिए अपना दामन छुड़ाते हुए मुंह मोड़ लें तो जाहिर है कि ये एक चिंतन का विषय है। लेकिन हमारे संवेदनहीन व सड़े हुए सिस्टम और समाज की हकीकत भी यही है कि अब किसी को सेाचने की जरूरत नहीं है। चाहे घटनाक्रम कितना भी गंभीर क्यों न हो।

जानकारी के अनुसार दुष्कर्म पीड़िता के बेटे को तीन माह से अपनी मां का इंतजार है।  इस मां ने बच्चे को अपनाने से इंकार कर दिया और वह उसे अस्पताल में छोड़कर चली गई। अब सीएमएस ने चाइल्ड केयर सेंटर भेजने के लिए पत्र लिखा है। खेलने-कूदने की उम्र में मां तीन माह पहले साहिबाबाद थाना क्षेत्र की एक 15 वर्षीय दुष्कर्म पीड़िता किशोरी ने जीटी रोड स्थित एमएमजी महिला जिला अस्पताल में अपने बेटे को जन्म दिया था। इस समय किशोरी के बेटे को गोद लेने के लिए महिला अस्पताल में काफी संख्या में लोग पहुंच थे, मगर कानूनी पेच की वजह से वह बच्चा किसी को सुपूर्द नहीं किया जा सका।

वहीं, दुष्कर्म पीड़िता ने भी बच्चे को अपनाने से इंकार कर दिया था। जिलाधिकारी के आदेश पर तीन माह से बच्चे का पालन-पोषण अस्पताल में ही हो रहा है। जिलाधिकारी ने कहा कि तीन माह तक बच्चा अस्पताल में ही रहेगा। तीन माह बाद एमएमजी महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. दीपा त्यागी ने जिला प्रोबेशन अधिकारी को पत्र भेजकर बच्चे को चाइल्ड केयर सेंटर भेजने की मांग की है।

सीएमएस ने बताया कि बेटे को जन्म देने के बाद किशोरी व उसके परिजन अभी तक अस्पताल में नहीं आए। तीन माह से वह बच्चा अस्पताल में पड़ा हुआ है और अस्पताल की सीएमएस जिला प्रोबेशन अधिकारी को पत्र लिखकर बच्चे को चाइल्ड केयर सेंटर भेजकर पिंड छुड़ाने के लिए प्रयासरत है। जिला प्रशासन की ओर से इस पर कोई सुनवाई नहीं हो रही। इन बच्चों के मन में रह-रह का यही सवाल उठ रहा होगा कि तुझे सब है न पता, तो क्या मैं इतना बुरा हूं।  मां बच्ची को दूध की बोतल के साथ छोड़ गई।

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