कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए मंगलवार को बुलाया

 केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए मंगलवार को बुलाया है;

Update: 2020-12-01 01:15 GMT

नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान संगठनों के नेताओं को बातचीत के लिए मंगलवार को बुलाया है। केंद्रीय मंत्री की तरफ से सोमवार को मिली जानकारी के अनुसार, उन्होंने अब तीन दिसंबर के बजाय एक दिसंबर को किसान नेताओं को बातचीत के लिए आमंत्रित किया है। बताया जा रहा है कि ठंड और कोरोना महामारी की कठिनाइयों को देखते हुए सरकार ने किसान संगठनों से जल्दी वार्ता करने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार द्वारा लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में 26 नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन सोमवार को पांचवें दिन जारी रहा।

किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि मंत्री तोमर ने इससे पहले किसान नेताओं को तीन दिसंबर को आमंत्रित किय था, लेकिन किसानों के आंदोलन पर उतर आने की सूरत में उन्हें अब दो दिन पहले एक दिसंबर को ही बुलाया गया है।

जानकारी के अनुसार, किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने एक दिसंबर को दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन, नई दिल्ली में बातचीत के लिए आमंत्रित किया है।

बता दें कि इससे पहले 13 नवंबर को भी केंद्रीय मंत्रियों के साथ किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच दिल्ली के विज्ञान भवन में ही वार्ता हुई थी। हालांकि वह बैठक बेनतीजा रही, लेकिन दोनों पक्षों ने किसानों की समस्याओं पर आगे भी चर्चा जारी रखने पर सहमति जताई थी।

एक दिसंबर को होने वाली बैठक में उन सभी संगठनों को निमंत्रण दिया गया है, जिन्हें पिछली बैठक में बुलाया गया था।

बताया गया कि ठंड व कोविड को देखते हुए यह वार्ता जल्दी रखी गई है, ताकि किसान संगठनों के सदस्यों को परेशानी नहीं हो।

मोदी सरकार द्वारा लागू तीन नए कृषि कानूनों में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून 2020, कृषक (सशक्तिकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन व कृषि सेवा पर करार कानून 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 शामिल हैं। प्रदर्शन कारी किसान इन तीनों कानूनों को वापस लेने के साथ-साथ न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सभी फसलों की खरीद की गारंटी की मांग कर रहे हैं। इसके अलावाना उनकी कुछ अन्य मांगें भी हैं।

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