एक चिंगारी ने 200 झुग्गियों को बनाया राख का ढेर

 रात की गहरी नींद में सौ रहे सैकड़ों लोगों को आग की लपटों ने बेघर कर दिया;

Update: 2018-05-29 14:21 GMT

नोएडा।  रात की गहरी नींद में सौ रहे सैकड़ों लोगों को आग की लपटों ने बेघर कर दिया। शॉट शर्किट से लगी आग ने कुछ ही घंटो में करीब 200 झुग्गियों को राख के ढेर में तब्दील कर दिया।

गनीमत रही कि लोगों का सिर्फ सामान जला। वह बाल-बाल बच गए। शोर शराबा सुनकर झुग्गी में रहने वाले सभी लोग मुख्य सड़क तक पहुंच गए। लापरवाही अग्निशम विभाग की रही। देरी होने के चलते वह आग लगने के एक घंटे बाद वह घटना स्थल पर पहुंचे। फिलहाल सामाजिक संगठनों द्वारा बेघर परिवार वालों को आश्रय देना का प्रयास किया जा रहा है। 

बरौला गंदे नाले के पास खाली जमीन पर यह करीब 200 झुग्गियां बसी हुई थीं। इनमें रहने वाले परिवार में पुरुष कबाड़ बीनने का, जबकि महिलाएं आसपास की सोसायटियों व घरों में घरेलू कामकाज करती हैं। यह लोग करीब 26 छोटे-बड़े कबाड़ के ठेकेदारों के लिए काम करते हैं। इनके यहां पर ठहरने की व्यवस्था भी ठेकेदारों की तरफ से ही की हुई है। यह ठेकेदार ही झुग्गियों का प्लॉट मालिक को किराया देते हैं।

गांववासियों के अनुसार यह प्लॉट बरौला के रहने वाले यशवंत मास्टर, लखन, राजेंद्र करोड़पति व रमेश के हैं। यहां रहने वाले अधिकांश परिवार पश्चिम बंगाल के नादिया व मुर्शिदाबाद के रहने वाले हैं। मूल रूप से मुर्शिदाबाद निवासी आली भी ठेकेदार हैं। उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल नादिया के मूल निवासी काफिरुल यहां पर झुग्गी में कबाड़ी की दुकान चलाता था। इन दिनों वह गांव गया हुआ है। पीछे उसके जीजा दिलावर शेख समेत 8 रिश्तेदार यहां रह रहे थे।

देर रात करीब 1 बजे सबसे पहले इसी झुग्गी में आग लगी। जो बगल के झुग्गी में भी पहुंच गई। आग लगने के बाद तुरंत ही सभी लोग सुरक्षित बाहर निकल आए। देखते ही देखते आग दूसरी झुग्गियों में भी पहुंच गई। कुछ झग्गियां टिन शेड में बनी थी, हालांकि अधिकांश बांस, घास और प्लास्टिक शीट से बनी हुई थीं। इस वजह से उनमें तेजी से आग फैली और धीरे-धीरे सभी झुग्गियों को चपेट में ले लिया।

100 सिलेंडरों के फटने से दहल उठे लोग

आग लगने के बाद झुग्गियों में रखे सिलिंडर भी एक-एक करके फटने लगे। वहां से लोगों ने कंट्रोल रूम पर सूचना देने की कोशिश की। बरौला के रहने वाले गृह मंत्रालय में एलडीसी वर सिंह ने बताया कि उन्होंने अन्य गांववासियों व झुग्गी वालों की मदद से आग बुझाने की कोशिश की। फायर ब्रिगेड को सूचना देने के लिए फोन करने पर पहले काफी देर तक फोन ही नहीं मिला।

बात होने के बाद करीब 2:15 बजे दमकल की दो गाड़ियां मौके पर पहुंचीं, तो उनमें पानी ही नहीं था। लिहाजा वो आकर लौट गईं। बाद में दो और गाड़ियां आईं, तो आग बुझाने का काम शुरू हो सका। हालांकि तब तक आग ने सभी झुग्गियों को चपेट में ले लिया था। करीब एक घंटे में आग पर पूरी तरह से काबू पा लिया गया।

लेकिन तब तक सब कुछ जल चुका था। इस दौरान छोटे बड़े करीब 100 गैस सिलिंडर फटे। इनकी आवाज से आसपास के लोग सहम गए। आग में वहां पर खड़े करीब 100 साइकिल रिक्शा व आधा दर्जन बाइक भी जल गईं।

प्रशासन ने नहीं ली सुध, समाजसेवियों ने बढ़ाया हाथ

आग बुझने के बाद पुलिस व दमकल कर्मी वापस लौट गए। इसके बाद प्रशासन की तरफ से बेघर हुए परिवारों की किसी ने सुध लेना जरूरी नहीं समझा। मौके पर प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। हालांकि कुछ समाजसेवियों ने आगे बढ़कर बेघर हुए परिवारों की मदद की और खाने-पीने की व्यवस्था की। बरौला के रहने वाले हरिंदर सिंह ने लोगों के लिए खाने की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि रात में वह मौके पर मौजूद थे, लेकिन आग में कुछ बच नहीं पाया।

लोगों को सुबह चाय पिलाने के साथ ही उन्होंने खाने का बंदोवस्त किया। ऐसे ही सेक्टर-100 के रहने वाले पवन यादव ने भी आगे बढ़कर लोगों को खाना उपलब्ध करवाया। इसके अलावा समाजसेवी राजन कुमार ने भी वहां फूड वैन के जरिए लोगों को मदद की। उनको भोजन कराया साथ ही कपड़े व अन्य सामान वितरित किया।

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