24 घंटे में शहर में नौ फीसद बढ़ा प्रदूषण
24 घंटे में शहर के प्रदूषण में नौ फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई;
नोएडा। 24 घंटे में शहर के प्रदूषण में नौ फीसद की बढ़ोतरी दर्ज की गई। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) पीएम-2.5 की मात्रा 472 प्रतिघनमीटर क्यूब रिकार्ड की गई। यह सूक्ष्म कण है। यह हमारे सांस के जरिए हमारे शरीर में पहुंचकर भारी नुकसान पहुंचा रहे है। वहीं, पीएम-10 की मात्रा 435 रिकार्ड की गई।
दोनों के स्तर में हुई बढ़ोतरी ने जिला प्रशासन, प्रदूषण विभाग की चिंता बढ़ा दी है। प्रदूषण का असर सिर्फ लोगों के फेकड़ों पर ही नहीं बल्कि गर्भ में पल रहे बच्चों पर भी पड़ रहा है। शहर में 24 घंटे में प्रदूषण के स्तर में तेजी से बढ़ोतरी काफी खतरनाक है। इसको रोकने के लिए किए जा रहे प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे है। चिकित्सकों की माने तो वायु प्रदूषण का असर न केवल हमारे लंग (फेफड़े) पर पड़ रह है, बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी वायु प्रदूषण का बुरा प्रभाव पड़ रहा है।
भारत में पैदा होने वाले 25 फीसदी शिशु प्रिमैच्योर पैदा हो रहे हैं और इसका सबसे बड़ा कारक वायु प्रदूषण को माना जा रहा है। विशेषज्ञों का यह भी दावा है कि वायु प्रदूषण की वजह से गर्भ में पल रहे शिशु और मां के बीच की मुख्य नसें ही सिकुड़ जाती है। जिला अस्पताल के पिडियाट्रिक सर्जन विनोद कुमार का कहना है कि भारत सहित दुनियाभर में वायु प्रदूषण से होने वाली स्वास्थ्य समस्या का अध्ययन करने पर यह बात सामने आई है कि वायु प्रदूषण से मां के गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है।
बुधवार को जारी एयर क्वालिटी इंडेक्स में पीएम-10 का मिनिमम मात्रा 337 व एवरेज 435 रही। वहीं, एसओटू की मिनिमम मात्रा 5 एवरेज 21, एनओटू की मिनिमम मात्रा 70 व एवरेज 139 रिकार्ड की गई। इसके अलावा पीएम-2.5 की मिनिमम मात्रा 398 और एवरेज मात्रा 472 रही। एनएच थ्री की 10 व एवरेज 19, सीओ की 62 व एवरेज मात्रा 143 रही। वही ओजन की मात्रा 8 एवरेज मात्रा 16 रिकार्ड की गई। यह मात्रा सांस संबंधित रोगियों के लिए बेहद घातक है।
प्राधिकरण ने सड़कों पर कराया छिड़काव
प्रदूषण के कारण लोगों को परेशानी न हो लिहाजा प्राधिकरण ने कंस्ट्रक्शन के आसपास की मुख्य सड़कों पर पानी के टैंकरो से छिड़काव कराया। उद्योग मार्ग, एमपी-2, सेक्टर-76,78,74,75 के अलावा अन्य सड़कों पर भी टैंकरो से छिड़काव किया गया।
पानी के जरिए यहा धूल के कणों को दबाने की कोशिश की गई। लेकिन सर्वाधिक खतरा पीएम-2.5 के कणों से है। जिनका स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है।