निजी स्कूलों में पढ़ने वाले 30 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त

दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 30 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं और 10 से 18 आयु वर्ग के लगभग 10 प्रतिशत बच्चों डायबिटीज जैसी बीमारी से पीड़ित हैं।;

Update: 2018-08-01 23:07 GMT

नई दिल्ली| दिल्ली के निजी स्कूलों में पढ़ने वाले लगभग 30 प्रतिशत बच्चे मोटापे से ग्रस्त हैं और 10 से 18 आयु वर्ग के लगभग 10 प्रतिशत बच्चों डायबिटीज जैसी बीमारी से पीड़ित हैं। एक सर्वेक्षण में इस बात का खुलासा हुआ है। सर्वेक्षण के मुताबिक जो डायबिटीज से ग्रस्त हैं उनमें से कई प्री-डायाबेटिक और हाइपरटेंसिव या अतिसंवेदनशील स्थितियों से पीड़ित हैं।

सर्वेक्षण के मुताबिक, "शहर की कई स्कूल कैंटीनों में अस्वास्थ्यकर भोजन जैसे डीप फ्राई किए हुए स्नैक्स और अधिक चीनी वाले पेय पदार्थ सर्व किए जाते हैं। उनमें से ज्यादातर अपने छात्रों की खाने-पीने की आदतों से भी अनजान हैं।" 

हार्ट केयर फाउंडेशन (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, " बचपन का मोटापा आज की एक वास्तविकता है जिसमें दो सबसे प्रमुख कारक हैं- असंतुलित आहार और बैठे रहने वाली जीवनशैली। बच्चों समेत समाज के 30 प्रतिशत से अधिक लोगों में पेट का मोटापा है। अधिकांश बच्चे सप्ताह में कम से कम एक या दो बार बाहर खाते हैं और भोजन करने के दौरान हाथ में एक न एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पकड़े रहते हैं। "

उन्होंने कहा, "हालांकि, इन हालात के बारे में माता-पिताओं के बीच जागरूकता है, लेकिन समस्या का समाधान करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया जा रहा है। बड़ों को वैसा व्यवहार करना चाहिए जो वे अपने बच्चों में देखना चाहते हैं। स्वस्थ बचपन स्वस्थ जीवन का एकमात्र आधार है।" 

दुनिया में चीन के बाद भारत में मोटापे से पीड़ित बच्चे सबसे अधिक हैं। सामान्य वजन वाला मोटापा समाज की एक नयी महामारी है। इसमें एक व्यक्ति मोटापे से ग्रस्त हो सकता है, भले ही उसके शरीर का वजन सामान्य सीमा के भीतर है। पेट के चारों ओर फैट का एक अतिरिक्त इंच दिल की बीमारी की संभावना को 1.5 गुना बढ़ा देता है।

डॉ. अग्रवाल ने बताया, "तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी के निशानों के अभियान की तर्ज पर उन सभी फूड पैकेटों पर भी लाल निशान छापा जाना चाहिए, जिनमें निर्धारित मात्रा से अधिक चीनी, कैलोरी, नमक और सेचुरेटेड फैट मौजूद है। इससे खाने या खरीदने वाले को पहले से पता चल जायेगा कि इस फूड आयटम में वसा, चीनी और नमक की मात्रा अस्वास्थ्यकर स्तर में है।" 

डॉ. अग्रवाल ने कुछ सुझाव देते हुए कहा, "शुरुआत से ही स्वस्थ भोजन करने की आदत को प्रोत्साहित करना चाहिए। पसंदीदा व्यंजनों को हैल्दी तरीके से बनाने का प्रयास करें। कुछ बदलाव करके स्नैक्स को भी सेहत के लिए ठीक किया जा सकता है। बच्चों को अधिक कैलोरी वाले भोजन का लालच न दें। उन्हें ट्रीट देना तो ठीक है लेकिन संयम के साथ। साथ ही, अधिक वसा और चीनी या नमकीन स्नैक्स कम करके।" 

उन्होंने कहा, "बच्चों को शारीरिक रूप से सक्रिय होने का महत्व समझाएं। बैठने का समय कम करें। पढ़ना एक अच्छा विकल्प है, जबकि स्क्रीन पर बहुत अधिक समय लगाना उचित नहीं है। बच्चों को व्यस्त रखने के लिए बाहर की मजेदार गतिविधियों की योजना बनाएं और उनका स्क्रीन टाइम बदलें।"

 

Full View

 

Tags:    

Similar News