किसी भी चर्चा और बहस के बिना लोकसभा में पास हुआ 2018 वित्त विधेयक

अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे, नारेबाजी और कुछ दलों के बहिर्गमन के बीच 2018 के वित्त विधेयक, सभी मंत्रालयों तथा विभागों की अनुदान मांगें और संबंधित विनियोग विधेयक को लोकसभा ने आज ध्वनिमत स;

Update: 2018-03-14 15:37 GMT

नयी दिल्ली। अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के हंगामे, नारेबाजी और कुछ दलों के बहिर्गमन के बीच 2018 के वित्त विधेयक, सभी मंत्रालयों तथा विभागों की अनुदान मांगें और संबंधित विनियोग विधेयक को लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया।

#FLASH: Finance Bill, 2018 passed in Lok Sabha.

— ANI (@ANI) March 14, 2018


 

हाल के वर्षों में यह पहला मौका है जब किसी भी मंत्रालय की अनुदान मांगों और वित्त विधेयक को सदन में बिना चर्चा के पारित किया गया है। बजट सत्र का दूसरा चरण गत पांच मार्च को शुरू होने के बाद से ही सदन में विपक्षी सदस्यों तथा सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की सहयोगी तेलुगूदेशम पार्टी के हंगामे के कारण कोई कामकाज नहीं हो पाया है। 

वित्त विधेयक तथा कुछ मंत्रालयों की अनुदान मांगें आज की कार्यसूची में चर्चा और पारित कराने के लिए दर्ज थी। कार्यसूची के अनुसार, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगें एकसाथ (गिलेटिन) शाम पांच बजे पारित करायी जानी थी, लेकिन संसदीय कार्य मंत्री अनंत कुमार ने सुबह कार्यवाही शुरू होने पर विपक्ष के हंगामे के बीच लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि सभी अनुदान मांगें तथा वित्त विधेयक 2018 और चालू वित्त वर्ष की अनुपूरक अनुदान मांगें एवं संबंधित विनियोग विधेयक दोपहर 12 बजे के बाद ही पारित कर दिये जायें। 

अध्यक्ष ने उनका अनुरोध स्वीकार करते हुए सदन की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी। कार्यवाही पुन: शुरू होने पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सभी मंत्रालयों और विभागों की अनुदान मांगें (गिलेटिन), उनसे संबंधित विनियोग विधेयक पारित कराने के लिए पेश किया, जिसे सदन ने हंगामे के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया। 

इसके बाद उन्होंने वित्त विधेयक 2018 को 21 संशोधनों के साथ विचार तथा पारित कराने के लिए पेश किया, जिसे सदन ने बिना चर्चा के ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसी दौरान कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। चालू वित्त वर्ष की पूरक मांगें और संबंधित विनियोग विधेयक भी बिना चर्चा के पारित कर दिये गये। 

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