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अमित शाह ने परिश्रम को बताया था जीत का मंत्र : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकसभा उपचुनाव में निराशाजनक हार के बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास गए थे

अमित शाह ने परिश्रम को बताया था जीत का मंत्र : योगी
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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि लोकसभा उपचुनाव में निराशाजनक हार के बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के पास गए थे, उन्होंने कहा था कि परिश्रम ही जीत का मंत्र है। मुख्यमंत्री योगी मंगलवार को यहां लोकभवन में 'अमित शाह और भाजपा की यात्रा' पुस्तक पर आयोजित परिचर्चा में लोगों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान मैंने अमित शाह से महागठबंधन के विषय में उनसे चर्चा की, तब उन्होंने कहा था कि सपा, बसपा या जो भी दल महागठबंधन में शामिल होना चाहते हैं, हो जाएं, यह सब गायब हो जाएंगे। विपरीत परिस्थितियों में भी भाजपा प्रदेश में बड़ी जीत दर्ज करेगी। बस आप परिश्रम करते रहिए, क्योंकि परिश्रम का कोई विकल्प नहीं होता।

मुख्यमंत्री ने कहा, "अमित शाह के जीवन पर चार महापुरुषों की छाप देखने को मिलती है। आदि शंकराचार्य की साधना, आचार्य चाणक्य की नीति, वीर सावरकर का राष्ट्रवाद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राष्ट्र के प्रति प्रतिबद्धता का भाव। आदि शंकराचार्य की सांस्कृतिक विरासत को संभालने का भाव अमित शाह में है। भारत की गुलामी का कारण बने नंदवंश को उखाड़ फेंकने का संकल्प चाणक्य ने लिया था और कांग्रेस मुक्त भारत बनाने का संकल्प अमित शाह ने लिया है।"

उन्होंने कहा कि अन्य दलों ने देश की कीमत पर राजनीति की। भारतीय जनसंघ अकेला दल था, जिसने कहा कि दल से बड़ा देश है। सन् 1976 में लोकतंत्र को बचाने के लिए जनसंघ ने जनता पार्टी में अपना विलय किया था। जनता पार्टी जब स्थिति नहीं संभाल पाई, तो उसके फलस्वरूप 1980 में भारतीय जनता पार्टी ने अपनी यात्रा प्रारंभ की और अपने सिद्धांतों से समझौता किए बिना मात्र 16 वर्ष में देश में अपनी पहली सरकार बनाई।

योगी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की यात्रा से दो नेता निकले हैं। पहला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और दूसरा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह। मोदी ने आज देश ही नहीं, बल्कि दुनिया में एक लोकप्रिय नेता के रूप में अपना विशिष्ठ स्थान बनाया है। अमित शाह की यात्रा बूथ अध्यक्ष से प्रारंभ होकर आज भारत के गृहमंत्री के रूप में देखने को मिलती है। कोई व्यक्ति अचानक बड़ा व्यक्तित्व नहीं बन जाता है। उस व्यक्ति का समाज, लोकतंत्र एवं राष्ट्र के लिए भाव और अंत:करण क्या है, यह सझने की आवश्यकता है।


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