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अमित शाह ने बंगाल में शरणार्थी के घर खाया खाना

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक शरणार्थी परिवार के घर पर दोपहर का भोजन किया

अमित शाह ने बंगाल में शरणार्थी के घर खाया खाना
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नारायणपुर (पश्चिम बंगाल)। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में एक शरणार्थी परिवार के घर पर दोपहर का भोजन किया। शाह का यह कदम ऐसे समय पर सामने आया है, जब उन्होंने हाल ही में घोषणा की थी कि केंद्र सरकार कोरोनावायरस महामारी के बाद विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) जमीनी स्तर पर उतारेगी।

भाजपा की चुनावी यात्रा को हरी झंडी दिखाने के लिए राज्य के अपने दौरे के दौरान शाह ने गुरुवार को बांग्लादेश के एक शरणार्थी सुब्रत विश्वास के निवास पर दोपहर का भोजन (लंच) किया।

शाह ने ट्वीट किया, दक्षिण 24 परगना के नारायणपुर गांव में सुब्रत बिस्वास जी के घर पर दोपहर का भोजन किया। मैं बिस्वास जी और उनके परिवार को इतनी गर्मजोशी और आतिथ्य के लिए अपने हृदय की तह से धन्यवाद देता हूं।

भाजपा के एक नेता ने कहा कि बिस्वास के पूर्वज पूर्वी पाकिस्तान से पश्चिम बंगाल पहुंचे थे, जो अब बांग्लादेश के रूप में जाना जाता है। यह परिवार उसी समय से ही गरीबी में रह रहा है।

इस महीने की शुरुआत में, शाह ने घोषणा की थी कि कोविड-19 टीकाकरण अभियान समाप्त होते ही सीएए के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

दरअसल, पश्चिम बंगाल में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं और अमित शाह प्रदेश के वोटरों को साधने के लिए लगातार चुनावी दौरे कर रहे हैं। इतना ही नहीं, अपने दौरे के दौरान वह चुनावी समीकरण को साधने के लिए अलग-अलग वर्ग के लोगों के घर जाकर खाना भी खा रहे हैं। इससे पहले वह मतुवा समुदाय और आदिवासी समुदाय के घर खाना खा चुके हैं।

इसी कड़ी में उन्होंने गुरुवार को एक हिंदू शरणार्थी परिवार के घर खाना खाया। पार्टी का मानना है कि इससे उसे उन लोगों के वोटों को मजबूत करने में मदद मिलेगी, जो अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ हैं।

भाजपा के एक नेता ने कहा कि शरणार्थी परिवार के साथ आज का दोपहर का भोजन नए कानून के तहत नागरिकता देने के लिए पार्टी की प्रतिबद्धता को स्थापित करता है।

उन्होंने कहा, गृहमंत्री की ओर से एक शरणार्थी परिवार में दोपहर का भोजन करना यह दर्शाता है कि सरकार उनकी दुर्दशा के बारे में चिंतित है और वह राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के विरोध के बावजूद आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर काम करेगी।


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