ईरान समझौते से अलग होने से अमेरिका की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है: ओबामा
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2015 ईरान परमाणु सौदे से अमेरिका के अलग होने के फैसले की आलोचना की है और इस कदम को एक भारी भूल करार दिया

वाशिंगटन। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2015 ईरान परमाणु सौदे से अमेरिका के अलग होने के फैसले की आलोचना की है और इस कदम को एक भारी भूल करार दिया है।
ईरान परमाणु समझौते से अलग होने की ट्रंप की घोषणा के तुरंत बाद ओबामा ने मंगलार को एक बयान में कहा, "मेरा मानना है कि इस समझौते में ईरान के किसी भी उल्लंघन के बिना जेसीपीओए (कार्रवाई की संयुक्त व्यापक योजना)को जोखिम में डालने का फैसला एक गंभीर गलती है।"
There are few issues more important to the security of the US than the potential spread of nuclear weapons or the potential for even more destructive war in the Middle East. Today’s decision to put the JCPOA at risk is a serious mistake. My full statement: https://t.co/4oTdXESbxe
— Barack Obama (@BarackObama) May 8, 2018
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि ईरान, रूस, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन और जर्मनी के साथ मिलकर किए गए परमाणु समझौते से अमेरिका के अलग होने का फैसला भ्रमित है और यह अमेरिका के करीबी सहयोगियों से मुंह मोड़ना है।
ओबामा ने कहा, "लगातार समझौतों की उपेक्षा करने से अमेरिका की विश्वसनीयता खतरे में पड़ सकती है और साथ ही इससे विश्व की बड़ी शक्तियों के साथ हमारे मतभेद पैदा होने का भी खतरा है।"
ट्रंप द्वारा जेसीपीओए की आलोचना किए जाने का विरोध करते हुए ओबामा ने कहा कि समझौते का असर हो रहा है क्योंकि इससे ईरान के परमाणु कार्यक्रम में काफी हद तक कमी आई है।
ओबामा ने कहा कि अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, ईरान समझौते के तहत अपनी जिम्मेदारियों का निर्वाह कर रहा है और अमेरिका के समझौते से अलग होने से ईरान समझौते से जुड़ी अपनी प्रतिबद्धताओं से मुंह मोड़ सकता है और इससे हथियारों की दौड़ शुरू हो सकती है।


