साइबर धमकी के खिलाफ अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने शुरू किया अभियान
अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने ट्विटर पर रोजाना उनके पति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने विरोधियों को अपमानित करने के बावजूद बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ साइबर धमकी से निपटने के लिए

वाशिंगटन। अमेरिका की प्रथम महिला मेलानिया ट्रंप ने ट्विटर पर रोजाना उनके पति और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपने विरोधियों को अपमानित करने के बावजूद बच्चों और नाबालिगों के खिलाफ साइबर धमकी से निपटने के लिए औपचारिक रूप से अपना अभियान शुरू किया है। अमेरिकी मीडिया की रपट के अनुसार, मेलानिया ट्रंप ने मंगलवार को इस अभियान के तहत गूगल, फेसबुक, ट्विटर, स्नैपचैट के प्रमुख को व्हाइट हाउस बुलाया। मेलानिया ने 2016 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान इस अभियान का वादा किया था।
मेलानिया ने कहा, "मैं पूरी तरह से अवगत हूं कि लोग इस विषय में चर्चा करते हुए मुझ पर संदेह कर रहे हैं। इस मुद्दे से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए मुझे आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और मुझे पता है कि यह आगे भी चलता रहेगा। लेकिन ये सब मुझे उस चीज को करने से नहीं रोक सकते, जो मेरे अनुसार सही है।"
It was a very productive meeting on cyber safety & how to teach our children to be responsible digital citizens. Thank you @amazon @Facebook@FOSI @Google @m_Beckerman @Microsoft @Twitter & @snap for coming to the @WhiteHouse today & sharing your valuable insight and expertise. pic.twitter.com/YY2srrbYhP
— Melania Trump (@FLOTUS) March 20, 2018
मेलानिया को इस मुद्दे पर उस वक्त भी आलोचना का सामना करना पड़ा था, जब उन्होंने चुनाव अभियान के दौरान इस बारे में पहली बार इच्छा जताई थी। कई लोगों ने इस विचार को 'पाखंड' कहा था, क्योंकि लोगों का मानना था कि उनके पति खुद ही ट्विटर पर अपने विरोधियों के मजाक उड़ाते हुए पोस्ट करते हैं और कोई पछतावा नहीं जताते।
उन्होंने कंपनियों के प्रतिनिधियों के समक्ष कहा, "मैं यहां एक लक्ष्य के साथ हूं, जिसमें हमारे आने वाली पीढ़ी के बच्चों की मदद करना है। प्रथम महिला के तौर पर, मुझे सोशल मीडिया पर कई बच्चों के भयभीत महसूस करने के संबंध में चिट्ठियां प्राप्त हुई हैं।"
अधिकतर सोशल मीडिया सेवा प्रदाताओं ने साइबर खतरे के लिए कठोर नियम बना रखे हैं, लेकिन सामान्य तौर पर यह प्रयोगकर्ताओं पर निर्भर करता है कि वे इन जगहों पर अपने खिलाफ हुए उत्पीड़न की शिकायत करें, जिसके बाद सोशल मीडिया सेवा प्रदाता यह तय करते हैं कि उक्त व्यक्ति को प्रतिबंधित करना है या नहीं।


